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    जनरल रावत की पाक को चेतावनी, यदि आतंक को समर्थन जारी रहा तो करेंगे बल प्रयोग

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Tue, 03 Jan 2017 06:36 AM (IST)

    जनरल बिपिन रावत ने साफ कर दिया है कि यदि पाकिस्‍तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करेगा तो सेना की बल प्रयोग की रणनीति बेहद साफ होगी।

    नई दिल्ली। देश के नए आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि हमारी सेना पाकिस्तान और चीन से एक साथ जंग लड़ने के लिए तैयार है। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि टकराव का रास्ता छोड़कर हम सभी को सहयोग के रास्ते तलाशने चाहिए। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि कि सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिए भारत के पास सर्जिकल स्ट्राइक से भी प्रभावी रास्ते हैं जिनसे ऐसा ही संदेश उन्हें दिया जा सकता है। यह हमारी सेना के लिए भविष्य का हथियार होगा, यह कहना सही नहीं होगा।

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    जनरल रावत ने कहा है कि अगर हमारा दुश्मन आतंकवाद को समर्थन देना जारी रखता है तो ऐसी स्थिति में हमारी बल प्रयोग करने की रणनीति बेहद साफ है। हम अपनी जरूरतों के हिसाब से इसका इस्तेमाल करेंगे। इसके लिए सरकार ने भी सेना को खुली छूट दी है। इस इंटरव्यू के दौरान उन्होंने पाकिस्तान के नए आर्मी चीफ जनरल बाजवा के बारे में कि हम दोनों एक-दूसरे की क्षमताओं को समझते हैं और इसी संदेश के साथ दोनों आगे बढ़ें तो शांति रहेगी।

    हाल ही में हुए सेना के बेस कैंपों पर हमले के सवाल पर उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में आतंकवादी हमलों के अपने तरीके बदल रहे हैं। विशेषतौर पर भारत में आतंकवादी सेना के कैंपों पर हमला कर रहे हैं। लेकिन खुद को उनसे बचाने के लिए हमें उनसे आगे सोचना होगा। यह यह सोचना होगा कि आतंकियों का अगला कदम क्या होगा। इस मौके पर उन्होंने सरकार से मिली गाइडलाइंस का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इनसे हम हमलों पर काबू पा सकेंगे।

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    वरिष्ठ अधिकारियों के बावजूद खुद को सेना प्रमुख बनाए जाने पर उन्होंने कहा कि उन्हें अपने वरिष्ठ अधिकारियों से पूरा सपोर्ट मिला है। यह मिसाल देने लायक है। उन्होंने कहा कि पद संभालने के बाद उन्होंने लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी के साथ बातचीत की थी। इसमें उन्होंने पाया कि वह इस बात से व्यथित नहीं थे।

    पश्चिम बंगाल में सेना से जुड़े राजनीतिक विवाद के सवाल पर उन्होंने कहा कि सेना हमेशा राजनीति से दूर रही है। आर्मी का काम आर्मी पर छोड़ देना चाहिए। सिविल-मिलिट्री संपर्क की स्वस्थ व्यवस्था बनी हुई है कि आर्मी के मामले में राजनीति न होने पाए। अगले तीन साल के कार्यकाल में चुनौतियों के सवाल पर उन्होंने कहा, 'सेना में मॉडर्न तकनीक का इस्तेमाल हो, साथ ही मानव संसाधन का विकास भी जरूरी है।