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    दक्षेस की राह में पाक रोड़ा, आज सम्‍मेलन होगा समाप्‍त

    By Rajesh NiranjanEdited By:
    Updated: Thu, 27 Nov 2014 08:19 AM (IST)

    पिछड़ेपन से जूझ रहे दक्षिण एशियाई मोहल्ले में पाकिस्तानी हठधर्मिता एक बार फिर रोड़े अटकाने लगी है। काठमांडू में आयोजित दक्षेस शिखर सम्मेलन में पाकिस्तानी विरोध के कारण बुधवार को तीन अहम समझौतों का प्रस्ताव खटाई में पड़ गया है। इस तरह पहले दिन दक्षेस देशों के बीच किसी करार

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पिछड़ेपन से जूझ रहे दक्षिण एशियाई मोहल्ले में पाकिस्तानी हठधर्मिता एक बार फिर रोड़े अटकाने लगी है। काठमांडू में आयोजित दक्षेस शिखर सम्मेलन में पाकिस्तानी विरोध के कारण बुधवार को तीन अहम समझौतों का प्रस्ताव खटाई में पड़ गया है।

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    इस तरह पहले दिन दक्षेस देशों के बीच किसी करार पर हस्ताक्षर नहीं हो सका। बरसों की मेहनत के बाद ये प्रस्ताव शिखर वार्ता में मंजूरी के मुकाम तक पहुंचे थे। भारत समर्थित इन प्रस्तावों पर पाकिस्तानी अड़ंगे के कारण 18वां दक्षेस शिखर सम्मेलन ठोस नतीजे हासिल करने से चूकता नजर आ रहा है।

    हालांकि सम्मेलन को एक दिन बाकी है और कई देश समझौतों पर दस्तखत हो जाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। गुरुवार को सम्मेलन का अंतिम दिन है।

    गौरतलब है कि इससे पहले क्षेत्रीय मुक्त व्यापार समझौता भी पाकिस्तानी अड़ंगेबाजी का खामियाजा भुगतता रहा है। इस अड़चन से स्पष्ट हो गया है कि दक्षेस शिखर सम्मेलन के मंच पर जमा हुए आठ मुल्कों के नेता बिना किसी सार्थक उपलब्धि के वापस लौटेंगे।

    इन प्रस्तावों पर अड़ंगा

    * ऊर्जा सहयोग के लिए क्षेत्रीय पावर ग्र्रिड समझौता

    * रेल संपर्क बढ़ाने के लिए दक्षेस क्षेत्रीय रेल समझौता

    * सड़क संपर्क बढ़ाने के लिए दक्षेस मोटर वाहन समझौता

    पाकिस्तान की आपत्ति

    पाकिस्तान ने भारत के साथ अपने कड़वाहट की खीझ निकालते हुए इन प्रस्तावों पर अड़ंगा लगा दिया है। उसने कहा कि अभी उसे इसके लिए जरूरी आंतरिक प्रक्रिया पूरी करनी है। काठमांडू के लिए रवाना होने से पहले नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने क्षेत्रीय रेल व मोटर वाहन समझौते को मंजूरी दे दी थी।

    शरीफ ने बदली चाल

    दक्षेस के मंच से नवाज शरीफ ने विवाद मुक्त दक्षिण एशिया और विश्वास के रिश्ते जैसे जुमले उछाले, लेकिन इन्हें नतीजों की शक्ल देते वक्त चाल बदल गए। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान इन प्रस्तावों को लेकर सभी प्रक्रियाओं में शामिल था, लेकिन शरीफ के काठमांडू आने के बाद उसने पलटी मार ली। दक्षेस के चार्टर में सर्वानुमति की बात कही गई है।

    चीन को घुसाने की कोशिश

    पाक ने दक्षेस में अपनी रणनीतिक लामबंदी मजबूत करने की जुगत में अब तक पर्यवेक्षक मुल्क के तौर पर शामिल चीन को सदस्य बनाने की भी वकालत की। हालांकि भारत ने इसका विरोध करते हुए चीन की एंट्री को रोक दिया। दक्षिण एशिया के आठ देश 30 साल पुराने दक्षेस के सदस्य हैं।

    'हम उस गति से आगे नहीं बढ़ पाए जितनी कि उम्मीद थी। इसके पीछे वजह शायद यह थी कि हम अपने मतभेदों की दीवारों के पीछे ठिठक गए और अतीत के साए से बाहर आने में हिचक रहे हैं।' -नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

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