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    चुनावी उड़ानों में नियमों का उल्लंघन पड़ेगा भारी

    By Edited By:
    Updated: Mon, 24 Mar 2014 08:52 PM (IST)

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। विमानन महानिदेशालय [डीजीसीए] ने लोकसभा चुनाव के दौरान नेताओं को छोटे विमानों व हेलीकॉप्टरों की सेवाएं उपलब्ध कराने वाले शेड्यूल्ड ऑपरेटरों से सुरक्षा नियमों का कड़ाई से पालन करने को कहा है। एयर सेफ्टी सर्कुलर-2, 2014 के तहत सोमवार को जारी दिशानिर्देशों में उड़ानों के दौरान ऑपरेशनल

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। विमानन महानिदेशालय [डीजीसीए] ने लोकसभा चुनाव के दौरान नेताओं को छोटे विमानों व हेलीकॉप्टरों की सेवाएं उपलब्ध कराने वाले शेड्यूल्ड ऑपरेटरों से सुरक्षा नियमों का कड़ाई से पालन करने को कहा है। एयर सेफ्टी सर्कुलर-2, 2014 के तहत सोमवार को जारी दिशानिर्देशों में उड़ानों के दौरान ऑपरेशनल सेफ्टी, एयरवर्दीनेस तथा जनरेशन रिक्वायरमेंट संबंधी नियमों का ध्यान रखने की नसीहत दी गई है। साथ ही आगाह किया गया है कि उल्लंघन की स्थिति में न केवल जुर्माना लगेगा, बल्कि पायलट, ऑपरेटर या दोनों का लाइसेंस निलंबित या रद हो सकता है।

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    सामान्य उल्लंघन की स्थिति में ऑपरेटर/पायलट या जिम्मेदार व्यक्ति को चेतावनी दी जाएगी। केवल पायलट की गलती पर उसका लाइसेंस निलंबित किया जाएगा। ऑपरेटर की गलती पर उड़ानों पर आंशिक या पूर्ण प्रतिबंध संभव है। ज्यादा बड़ी गलती पर एयर ऑपरेटर का परमिट (एओपी) निलंबित होगा। साथ ही, एओपी पर गलती को दर्ज भी किया जाएगा। गंभीर उल्लंघन की दशा में एओपी रद किए जाने की नौबत आ सकती है। इस सर्कुलर की एक प्रति चुनाव आयोग, राज्य सरकारों तथा नॉन शेड्यूल्ड ऑपरेटरों को भी भेज दी गई है।

    चुनाव के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों के विशिष्ट व अति विशिष्ट नेता छोटे विमानों और हेलीकॉप्टरों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करते हैं। निजी या शेड्यूल्ड ऑपरेटरों द्वारा किराये पर उपलब्ध कराए जाने वाले इन उड़नखटोलों को उड़ाने के लिए अत्यंत दक्ष व अनुभवी हाथों की जरूरत होती है, क्योंकि चुनाव के दौरान छोटी-लंबी हर तरह की उड़ाने भरनी पड़ती हैं। दिन में कई मर्तबा टेकऑफ और लैंडिंग होती है। कहीं जल्दबाजी में हेलीपैड तैयार किए जाते हैं तो कभी मौसमी दशाएं अनुकूल नहीं होतीं। पायलटों और तकनीकी स्टाफ को आराम का मौका नहीं मिलता। कार्यक्रमों में तब्दीली होती है। सुरक्षा अमले की अपनी जरूरतें और प्राथमिकताएं होती हैं। रैलियों और सभाओं के लिए जुटने वाली बेसब्र भीड़, बिजली व टेलीफोन के बेतरतीब तार व इमारतें भी लैंडिंग व टेकऑफ के लिए समस्या खड़ी करती हैं। उग्रवाद, नक्सलवाद से ग्रस्त जंगली इलाकों में समुचित संचार संपर्क न होने की समस्याएं हैं। ऐसे में ऑपरेटरों और पायलटों को अत्यंत सतर्क रहना होता है।

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