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    नोटबंदी ने ऐसी तोड़ी कमर कि उबर नहीं पाए माओवादी, वित्तीय ढांचे को पहुंचा था गहरा आघात

    Updated: Sun, 14 Dec 2025 07:18 AM (IST)

    2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी लागू किए जाने से माओवादियों को भारी नुकसान हुआ, जिससे उनकी अर्थव्यवस्था को गहरा आघात पहुंचा। आत्मसमर ...और पढ़ें

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    नोटबंदी ने तोड़ी माओवादियों की कमर। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब नोटबंदी लागू की तो उसका बड़ा खामियाजा माओवादियों को उठाना पड़ा। नोटबंदी ने उनकी अर्थव्यवस्था को गहरा आघात पहुंचाया था।

    समर्पण करने वाले माओवादियों ने पुलिस पूछताछ में अपने वित्तीय नेटवर्क की परतें खोली हैं। साथ ही स्वीकारा है कि नोटबंदी के बाद से आज तक उनकी वित्तीय स्थिति कभी नहीं संभल पाई। बालाघाट पुलिस की सख्ती ने भी माओवादियों की जबरन वसूली पर अंकुश लगा दिया था। वे तेंदूपत्ता फड़ ठेकेदार या रोड निर्माण के ठेकेदारों से उगाही नहीं कर पाए।

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    क्या निकला नतीजा?

    नतीजा यह हुआ कि संगठन में वित्तीय संकट गहराता गया। इसका प्रमाण यह है कि बालाघाट में समर्पण करने वाले 13 माओवादियों के पास नकदी नहीं मिली है। दूसरी तरफ इन माओवादियों से पूछताछ और जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) की चार सदस्यीय टीम बालाघाट पहुंच गई है।

    सात दिसंबर को समर्पण करने वाले 10 माओवादियों से पूछताछ के आधार पर पुलिस ने सूपखार के जंगल में मिले डंप से इंसास, एसएलआर, सिंगल शाट सहित छह हथियार बरामद किए थे। पुलिस माओवादियों से नकदी छिपाने से जुड़ी जानकारी जुटा रही है, लेकिन अभी तक नकदी का डंप नहीं मिला है।

    माओवादियों को उठाना पड़ा भारी नुकसान

    सूत्र बताते हैं कि माओवादियों ने नोटबंदी के समय बालाघाट के कई माओवाद प्रभावित गांवों के ग्रामीणों को 500 और 1000 रुपये के नोट बदलने के लिए दिए थे, लेकिन ये रकम ग्रामीणों ने वापस नहीं लौटाई। इससे माओवादियों को लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। उनके पास बचे नोट भी रद्दी साबित हो गए।

    दूसरी चोट माओवादियों को तब लगी, जब 2023 में 2000 के नोट प्रचलन से वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की गई। आरबीआई के इस फैसले ने भी माओवादियों के वित्तीय ढांचे को पूरी तरह से हिला दिया। पूछताछ में यह भी पता चला कि बैरल ग्रेनेड लांचर (बीजीएल), सिंगल शाट गन जैसे हथियार माओवादी खुद बनाते थे।

    पुलिस बरामद किए गए सभी हथियारों के बट नंबर की जांच कर रही है। एके-47, इंसास, एसएलआर जैसे हथियारों के नेटवर्क में पुलिस को अब तक राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन नहीं मिला है। ये हथियार कहां से आए, इसका पता लगाया जा रहा है। गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए 1967) के तहत एनआईए जांच कर रही है।

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