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    माल्या के संसद सदस्यता रद करने की मांग

    By Monika minalEdited By:
    Updated: Fri, 11 Mar 2016 10:06 PM (IST)

    किंगफिशर के बंद हो जाने के बाद उसके फाउंडर माल्‍या के राज्यसभा सदस्यता रद करने की मांग भी उठी।

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    नई दिल्ली। बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस के फाउंडर विजय माल्या के विदेश चले जाने के मुद्दे ने हर तरफ हंगामा मचा दिया है और अब इससे संसद भी अछूता नहीं है। वहां माल्या के राज्यसभा सदस्यता रद करने की मांग भी उठी।

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    सपा सदस्य नरेश अग्रवाल ने माल्या की सदस्यता पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘दिवालिया, भगोड़ा और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल व्यक्ति संसद सदस्य नहीं हो सकता है। फिर माल्या कैसे सदस्य है।‘

    राज्यसभा में चर्चा के दौरान अग्रवाल ने कहा कि माल्या के ऊपर नौ हजार करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है, वह फरार भी है। लिहाजा नियम तोड़े जाने पर मामले को आचार समिति के पास भेजकर सदस्यता रद्द करनी चाहिए थी।

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    उप सभापति पीजे कुरियन ने सहमति जताते हुए कहा कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि संवैधानिक परंपरा का पूरी तरह पालन हो और नियमों का उल्लंघन न होने पाए। नियम के अनुसार राज्यसभा के किसी भी सदस्य को अगर भ्रष्टाचार में लिप्त में पाया जाता है तो उसे निष्कासित करने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी चाहिए होती है।

    राष्ट्रपति कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के अनुच्छेद 102 के खंड (1) के तहत फैसला ले सकता है। लेकिन निष्कासन के लिए राष्ट्रपति को पहले चुनाव आयोग से राय लेनी पड़ती है।

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    माल्या ईडी का सम्मन

    खुद को भगोड़ा कहे से जाने का विरोध कर रहे विजय माल्या को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूछताछ के लिए हाजिर होने को कहा है। विजय माल्या को अब 18 मार्च को ईडी के मुंबई कार्यालय में हाजिर होना पड़ेगा। विपक्ष संसद में विजय माल्या के विदेश जाने पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है। लेकिन विजय माल्या ने एक के बाद एक ट्वीट कर साफ किया है कि वे भगोड़े नहीं है कि अंतरराष्ट्रीय उद्योगपति होने के कारण उन्हें सामान्य रूप से कई देशों में जाना पड़ता है। विजय माल्या ने देश की न्यायपालिका में भरोसा जताते हुए जांच में शामिल होने का भरोसा भी दिया है। इस बीच सीबीआई ने कहा है कि माल्या के खिलाफ जो डिटेंशन लेटर जारी हुआ था उसमें जूनियर स्तर के एक अधिकारी से गलती हुई थी।