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नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया-राहुल को फौरी राहत, 19 दिसंबर को पेश होने का आदेश

नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी को फौरी तौर पर राहत मिल गई है। पटियाला हाउस कोर्ट ने सुनवाई आज टाल दी। सोनिया और राहुल गांधी ने कोर्ट में हलफनामा दिया, जिसके बाद अदालत ने उन्हें 19 दिसंबर को 3 बजे पेश होने

By Rajesh KumarEdited By: Published: Fri, 04 Dec 2015 06:02 PM (IST)Updated: Tue, 08 Dec 2015 12:12 PM (IST)

नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी को फौरी तौर पर राहत मिल गई है। पटियाला हाउस कोर्ट ने सुनवाई आज टाल दी। सोनिया और राहुल गांधी ने कोर्ट में हलफनामा दिया, जिसके बाद अदालत ने उन्हें 19 दिसंबर को 3 बजे पेश होने का आदेश दिया है। सोनिया और राहुल गांधी की तरफ से दलील पेश कर रहे अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उन्होंने जल्द से जल्द पेशी के लिए दूसरी तारीख देने की अपील की । कोर्ट ने उनकी दलीलों को स्वीकार किया और 19 दिसंबर को पेश होने के आदेश दिए। सिंघवी ने कहा कि एक अभियुक्त को छोड़कर सभी लोग 19 दिसंबर को पेश होंगे।

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सोनिया गांधी ने कांग्रेस सांसदों की बैठक में कहा कि इसका फैसला आप लोग करें कि क्या उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वो इंदिरा गांधी की बहू हैं और किसी से डरने वाली नहीं है, सभी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं। वहीं संसद के दोनों सदनों में नेशनल हेराल्ड केस मामले में दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ।

कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि केंद्र सरकार राजनीति साजिश के तहत कांग्रेस नेताओं को निशाना बना रही है। सिंघवी ने कहा कि हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से लेकर पी चिदंबरम तक केंद्र सरकार का शिकार बन चुके हैं। भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि सोनिया और राहुल गांधी अपनी किस्मत सुप्रीम कोर्ट में आजमा सकते हैं, हालांकि निचली अदालतों ने उन्हें प्रथम दृष्टया दोषी माना है।

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इससे पहले अक्टूबर में दिल्ली हाईकोर्ट ने सोनिया, राहुल और पार्टी के कुछ अन्य नेताओं की तरफ से किए गए उन आवेदनों को ‘निरर्थक’ करार दिया जिनमें ये आरोप लगाए गये थे कि नेशनल हेराल्ड मामले में उनके द्वारा दर्ज कराई गई चुनौती के साथ ‘अलग बर्ताव’ किया गया।

कांग्रेस के नेताओं ने अपने आवेदन में इस मामले को न्यायाधीश सुनील गौड़ की अदालत से न्यायाधीश पीएस तेजी की एक अलग अदालत में स्थानांतरित किए जाने का विरोध किया था। न्यायाधीश गौड़ की अदालत में इस मामले की आंशिक सुनवाई आठ माह तक हो चुकी थी।

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न्यायाधीश गौड़ ने ‘आवेदनों’ को निरर्थक करार दिया क्योंकि मामले को उच्च न्यायालय के पंजीयन द्वारा उनके समक्ष अधिसूचित किया गया है। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि उन्होंने इस मामले से अपने हाथ नहीं खींचे थे। उन्होंने कहा कि याचिकाएं वापस उनके पास इसलिए आई’ क्योंकि मामले की आंशिक सुनवाई उन्होंने की थी।

सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने अपने आवेदन में कहा था कि इस मामले में एक निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी याचिका का स्थानांतरण अदालत की प्रक्रियाओं और कार्यप्रणाली का उल्लंघन है।

आवेदन में यह भी कहा गया था कि उनकी चुनौती याचिका को न्यायाधीश गौड़ की पीठ के समक्ष ही अधिसूचित किया जाना चाहिए क्योंकि यह मामला आठ माह से भी अधिक समय से उनके समक्ष लंबित था और उन्होंने विभिन्न अवसरों पर इस मामले में लंबी सुनवाई की थी। इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को रोकने के लिए कांग्रेस आज सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी।

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