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    दिल्ली गैंगरेप: इनके बयान से मिला था सुराग

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    Updated: Wed, 11 Sep 2013 08:56 AM (IST)

    वसंत विहार गैंगरेप मामला पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन इसका खुलासा भी इतनी ही आसानी से हो गया। दरअसल जिस सफेद रंग की चार्टर्ड बस में घिनौनी वार ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली [जासं]। वसंत विहार गैंगरेप मामला पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन इसका खुलासा भी इतनी ही आसानी से हो गया। दरअसल जिस सफेद रंग की चार्टर्ड बस में घिनौनी वारदात की गई उस पर बाहर की तरफ मोटे अक्षरों में यादव ट्रांसपोर्ट लिखा हुआ था। घटना से पूर्व 16 दिसंबर की रात नौ बजे जब 23 वर्षीय फीजियोथेरेपिस्ट युवती अपने मित्र अवनींद्र के साथ मुनीरका बस स्टॉप पर खड़ी थी। तब आइआइटी की तरफ से बस आकर उनके पास रुकी।

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    16 दिसंबर: हैवानियत की वह रात

    बस में चढ़ने से पूर्व दोनों की नजर बस पर लिखे यादव ट्रांसपोर्ट पर पड़ी थी। चलती बस में युवती से दरिंदगी के बाद जब आरोपियों ने दोनों को नग्न हालत में एनएच-8, महिपालपुर, होटल एरिया के सामने सड़क किनारे फेंक दिया था तब पूछताछ में अवनींद्र ने पुलिस को बताया था कि बस पर यादव ट्रांसपोर्ट लिखा हुआ था। उसके बयान पर 17 सितंबर की सुबह पुलिस की 12 टीमें बुराड़ी स्थित परिवहन विभाग के कार्यालय से उन बसों का विवरण निकालने में जुट गई थीं, जो दिल्ली-एनसीआर में यादव ट्रांसपोर्ट के नाम से चल रही थीं। उधर कुछ टीमों ने महिपालपुर के उन होटलों की सीसीटीवी फुटेज खंगालनी शुरू कर दी थीं, जिनके कैमरे सड़क को कवर कर रहे थे।

    दिल्ली गैंगरेप: यूं चला घटनाक्रम

    पुलिस को उम्मीद थी कि फुटेज में बस कैद हो सकती है और उसका नंबर मिल सकता है। होटल आर ब्लूज के सीसीटीवी कैमरे में यादव ट्रांसपोर्ट वाली बस तो आ गई थी किंतु नंबर नहीं मिल पाया था। पुलिस जांच में जुटी ही थी कि तब तक कोटला मुबारकपुर थाने व एसटीएफ में तैनात सिपाहियों को सूचना मिली कि यादव ट्रांसपोर्ट की एक बस आरके पुरम सेक्टर तीन की रविदास कैंप झुग्गी में खड़ी होती है। रात को बस वहीं थी, अब वहां नहीं हैं। यहीं से पुलिस को अहम सुराग मिल गया था। दबिश दी गई, तब पता चला कि बस दिनेश यादव नाम के ट्रांसपोर्टर की है। इसके बाद पुलिस बस की तलाश में जुट गई। अपराह्न सवा चार बजे राम सिंह जब बस लेकर आरकेपुरम सेक्टर तीन, रविदास कैंप झुग्गी के पास आया। तब बस खड़ी कर उतरते ही उसे दबोच लिया गया। उसने बताया कि घटना के बाद सभी रविदास कैंप आ गए थे। वहां रात को ही बस को धो दिया गया था। 17 दिसंबर की सुबह मीडिया में खबर आने लगी तब पवन गुप्ता, मुकेश, विनय शर्मा व नाबालिग वहां से भाग गए। राम सिंह, अक्षय ठाकुर के साथ नेट एंबिट कंपनी के कर्मचारियों को छोड़ने नोएडा चला गया। वहां से दोनों बस मालिक के घर पर चले गए।

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