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    दिल्ली गैंग रेप कांड: नाबालिग की सजा के एलान पर फिलहाल रोक

    By Edited By:
    Updated: Wed, 31 Jul 2013 09:29 PM (IST)

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो] दिल्ली गैंग रेप कांड में आरोपी किशोर पर अभी फिलहाल फैसला नहीं आएगा। सुप्रीम कोर्ट ने 'किशोर' (जुवेनाइल) को नए ढंग से परिभाषित करने की मांग वाली याचिका पर 14 अगस्त तक सुनवाई टाल दी है। साथ ही सुब्रमण्यम स्वामी से कहा है कि वह जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को सूचित करें कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहने तक वह फैसला न सुनाए।

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    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो] दिल्ली गैंग रेप कांड में आरोपी किशोर पर अभी फिलहाल फैसला नहीं आएगा। सुप्रीम कोर्ट ने 'किशोर' (जुवेनाइल) को नए ढंग से परिभाषित करने की मांग वाली याचिका पर 14 अगस्त तक सुनवाई टाल दी है। साथ ही सुब्रमण्यम स्वामी से कहा है कि वह जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को सूचित करें कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहने तक वह फैसला न सुनाए।

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    पढ़ें: किसी संगीत समारोह में नहीं गए गैंगरेप आरोपी..

    जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने किशोर आरोपी की सजा पर फैसला सुरक्षित रखा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने के कारण गत 25 जुलाई को बोर्ड ने फैसला 5 अगस्त तक के लिए टाल दिया था। अब कोर्ट की इस ताजा टिप्पणी के बाद 5 अगस्त को भी फैसला आने की उम्मीद नहीं है। सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कानून में 'किशोर' को नए ढंग से परिभाषित करने का अनुरोध किया है।

    याचिका में स्वामी की मांग है कि किशोर पर अपराध की जिम्मेदारी उसकी उम्र से न तय होकर, मानसिक और बौद्धिक क्षमता से तय होनी चाहिए।

    बुधवार को मुख्य न्यायाधीश पी. सतशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि याचिका में उठाया गया मुद्दा महत्वपूर्ण और विचार करने योग्य है। हालांकि केंद्र सरकार ने याचिका का विरोध किया। सरकार की ओर से दलील दी गई कि आपराधिक मामले की सुनवाई में तीसरा पक्ष दखल नहीं दे सकता।

    वैसे भी इस याचिका पर आने वाले फैसले का असर मामले पर नहीं पड़ेगा क्योंकि फैसला पूर्व तिथि से लागू नहीं हो सकता। किशोर आरोपी की ओर से पेश वकील ने भी स्वामी की याचिका का विरोध किया। वकील ने याचिका का जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से कुछ और समय दिए जाने की मांग की। कुछ अन्य पक्षकार भी इस मामले में कोर्ट पहुंचे हैं।

    पीठ ने मामले की सुनवाई 14 अगस्त तक टालते हुए कहा कि सभी पहलुओं पर विचार किया जाएगा। यहां तक कि याचिका विचार योग्य है कि नहीं, यह भी देखना होगा। केंद्र सरकार ने लिखित हलफनामा दाखिल करके भी स्वामी की याचिका का विरोध किया है।

    सरकार ने कहा है कि जुवेनाइल जस्टिस कानून बच्चों और किशोरों को संरक्षण देने के लिए बनाया गया है। यहां तक सरकार ने किशोर की उम्र घटाने का विरोध करते हुए कहा कि एक घटना से कानून नहीं बदला जा सकता क्योंकि उससे लाखों किशोर जो छोटे मोटे अपराधों में आरोपी हैं प्रभावित हो जाएंगे।

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