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    14 तथ्यों से साबित हुई 16 दिसंबर की दरिदंगी

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    Updated: Wed, 11 Sep 2013 09:27 AM (IST)

    वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म मामले में अभियुक्त राम सिंह, मुकेश, पवन गुप्ता, विनय शर्मा व नाबालिग अक्षय ठाकुर 16 दिसंबर 2012 की रात अपराध को ही अंजाम ...और पढ़ें

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    पवन कुमार, नई दिल्ली। वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म मामले में अभियुक्त राम सिंह, मुकेश, पवन गुप्ता, विनय शर्मा व नाबालिग अक्षय ठाकुर 16 दिसंबर 2012 की रात अपराध को ही अंजाम देने के लिए घर से निकले थे। इन सभी ने सुनियोजित ढंग से आपराधिक षड्यंत्र रचा। अभियुक्तों का मकसद न केवल सामूहिक दुष्कर्म करना था, बल्कि पीड़िता के साथ किए गए घिनौने व अमानवीय कृत्य के बाद पीड़िता व उसके दोस्त की हत्या करना भी था। इस मामले में दोषी करार दिए गए अभियुक्तों के आपराधिक मकसद और अपराध में सामूहिक भागीदारी को साबित करने के लिए साकेत कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना ने 14 तर्क फैसले में दिए हैं। ये तर्क इस प्रकार हैं।

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    हैवानियत की वह रात

    1. अपराध के मकसद से निकले थे

    अभियुक्त अपराध के मकसद से घर से निकले थे। पीड़िता दोस्त के साथ बस में बैठी तो उन्होंने बस में अन्य व्यक्ति को नहीं बैठाया, क्योंकि वे पीड़िता के साथ वारदात करने का षड्यंत्र रच चुके थे। इसमें सभी की राय शामिल थी।

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    2. शारीरिक रूप से मजबूत होने का उठाया फायदा

    पीड़ित शारीरिक रूप से कमजोर थे और अभियुक्त शारीरिक रूप से मजबूत। उन्होंने इसका फायदा उठाया और वारदात को अंजाम दिया।

    3. अभियुक्त जानते थे कि पीड़िता पर हावी रहेंगे

    अभियुक्तों को पता था कि वे शारीरिक तौर पर पीड़िता व उसके दोस्त पर हावी हो सकते हैं और इसी के चलते उन्होंने दोनों पर हमला किया। असहाय लड़की व उसका दोस्त कुछ न कर पाए।

    4. पूर्व नियोजित था अपराध

    इस वारदात में जिस तरह से लोहे की रॉड का इस्तेमाल हुआ। उससे साबित होता है कि यह सब पूर्व नियोजित था। अभियुक्त पीड़िता से सामूहिक दुष्कर्म करना चाहते थे और उस पर काबू पाना चाहते थे। उन्होंने जिस नृशंस तरीके से लोहे की रॉड पीड़िता के शरीर के नाजुक हिस्सों में डाली एवं उसके शरीर से बच्चेदानी को बाहर निकाल दिया। उससे यही साबित होता है कि अभियुक्त पीड़िता को मार डालना चाहते थे, क्योंकि उन्हें पता था कि ऐसा करने से क्या होगा।

    5. पीड़ितों को असहाय कर दिया था अभियुक्तों ने

    अभियुक्तों ने पीड़िता व उसके दोस्त पर लोहे की रॉड से हमला किया और पीड़िता को पीछे खींच कर ले गए एवं उसके कपड़े फाड़ डाले। उसके साथ छह अभियुक्तों ने सामूहिक दुष्कर्म किया। पीड़िता इस कदर असहाय हो गई थी कि वह उन्हें नहीं रोक पाई। यह साबित करता है कि अपराध में सभी की एक राय थी।

    6. अपराध के लिए चला रहे थे बस

    अभियुक्त रात में सड़क पर बस चला रहे थे। वे बस को यात्रियों के लिए नहीं, बल्कि अपराध को अंजाम देने के लिए चला रहे थे। यह घटना अभियुक्तों की इस मनोवृत्ति को साबित करती है।

    7. अपराध ही था मकसद

    अभियुक्तों ने जिस तरह से पीड़िता के शरीर के अंदरूनी हिस्से को निकाला और बाद में बस को ऐसी जगह रोका, जहां कोई उन्हें देख न सके। यह उनका आपराधिक मकसद साबित करते हैं।

    8. मामले को दुर्घटना बनाना चाहते थे अभियुक्त

    अभियुक्तों ने पीड़िता व उसके दोस्त को बस के पहिये के नीचे कुचलने की भी कोशिश की। वे इस वारदात को दुर्घटना का रूप देना चाहते थे। ये बातें साबित करती है कि अभियुक्त पीड़िता व उसके दोस्त की हत्या ही करना चाहते थे और पूर्व नियोजित ढंग से सबूत भी नहीं छोड़ना चाहते थे।

    9. पीड़िता की अंदरूनी हिस्से को गंभीर चोटें दीं

    पीड़िता की डॉक्टरी रिपोर्ट के अनुसार उसे 18 गंभीर अंदरूनी चोटें थीं। ये चोटें दर्शाती हैं कि अभियुक्त पीड़िता को मारना ही चाहते थे।

    10. दुर्लभ आपराधिक रणनीति का हुआ प्रयोग

    अभियुक्तों ने दुर्लभ आपराधिक रणनीति का प्रयोग किया। सोची समझी साजिश के तहत पीड़िता को सवारी के रूप में बस में चढ़ाया गया और बाद में अपराध को अंजाम दिया गया।

    11. बचना मुश्किल था पीड़िता का

    मामले में डॉक्टर का बयान साबित करता है कि पीड़िता को जो जख्म दिए गए थे। उनके कारण उसका किसी भी तरह से उसका बचना मुश्किल था। अभियुक्तों ने यह जख्म दिए थे और वारदात के समय वे इस बात से भली-भांति परिचित थे कि वे क्या कर रहे हैं और इसका परिणाम क्या होगा। 12. पीड़िता के दोस्त के बयान से स्पष्ट हुई तस्वीर

    पीड़िता के दोस्त का बयान यह साबित करता है कि किस तरह से दोनों को बस में चढ़ाया गया। बाद में पीड़िता व उसके दोस्त पर पहले रॉड से हमला किया गया। जब पीड़िता का दोस्त गिर गया तो अभियुक्त पीड़िता को बस में पीछे खींच ले गए। यह पहले ही सुनियोजित कर रखा था कि किस समय आरोपियों को क्या कार्रवाई करनी है।

    13. लगातार बस को चलाते रहना

    वारदात के समय बस को रोका नहीं गया, बल्कि उसे अभियुक्त लगातार चलाते रहे। ऐसे में बस में घायल एवं असहाय लड़की व उसका दोस्त मदद नहीं पा सके। उन्होंने शोर मचाया, मगर किसी ने उनकी आवाज नहीं सुनी। बस को न रोकना आपराधिक साजिश का हिस्सा था।

    14. हत्या ही था अभियुक्तों का मकसद

    पीड़िता व उसके दोस्त के शरीर पर आई बाहरी चोटें भी गंभीर थी। ये चोटें साबित करती हैं कि हमलावर उन्हें मारना ही चाहते थे।

    सबूत नंबर 1- रामाधार का बयान

    घटना को अंजाम देने से पूर्व आरोपियों ने रामाधार से नकदी व मोबाइल लूटा था। रामाधार ने सभी आरोपियों की पहचान की थी। इससे साबित हुआ कि आरोपी घटना वाली रात वारदात वाली बस में ही थे।

    सबूत नंबर 2- पीड़िता का मृत्युपूर्व बयान

    दुष्कर्म पीड़िता ने मौत से पहले एसडीएम उषा चतुर्वेदी व दिल्ली पुलिस को दिए बयान में घटना की पूरी जानकारी दी थी। पीड़िता ने आरोपियों के बारे में भी पूरी जानकारी दी थी और इंसाफ की मांग की थी।

    सबूत नंबर 3- पीड़िता के दोस्त का बयान

    पीड़िता के सॉफ्टवेयर इंजीनियर दोस्त ने पुलिस व अदालत के समक्ष आरोपियों की पहचान की है। उसने घटना का पूरा विवरण दिया। पीड़िता का यह दोस्त मामले का चश्मदीद गवाह है।

    सबूत नंबर 4- डीएनए टेस्ट रिपोर्ट

    आरोपियों को अंजाम तक पहुंचाने में डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट सबसे अहम और ठोस सबूत साबित हुई है। बस के पर्दे, सीट कवर व कई हिस्सों से मिले बालों के गुच्छे, खून के धब्बे और बस से जब्त अन्य चीजों के डीएनए प्रोफाइल की जांच से पता चला है कि इस बस का इस्तेमाल अपराध में किया गया था और आरोपी बस में मौजूद थे।

    सबूत नंबर 5- फोरेंसिक जांच रिपोर्ट

    पीड़िता के शरीर पर दांतों के काटने के निशान, आरोपियों के कपड़ों पर लगे खून के धब्बे और आरोपियों के दांतों इत्यादि की फोरेंसिक जांच से पता चला है कि आरोपी इस घटना में शामिल रहे हैं। सीटीवी में कैद दरिंदों की बस।

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