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आधार मामला संविधान पीठ को भेजने पर फैसला सुरक्षित

आधार कार्ड का मसला संविधान पीठ को भेजे जाने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। तीन न्यायाधीशों की पीठ के सामने बात निजता के मौलिक अधिकार पर आकर फंस गई है।

By Murari sharanEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2015 08:50 PM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2015 09:22 PM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आधार कार्ड का मसला संविधान पीठ को भेजे जाने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। तीन न्यायाधीशों की पीठ के सामने बात निजता के मौलिक अधिकार पर आकर फंस गई है।

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केंद्र सरकार ने दलील दी है कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है। इस मसले पर पूर्व फैसलों में मतभिन्नता है इसलिए मामला विचार के लिए संविधान पीठ को भेजा जाए। कोर्ट इस मुद्दे पर मंगलवार को फैसला सुना सकता है।

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं जिनमें आधार कार्ड की अनिवार्यता को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं की मुख्य दलील यही है कि आधार कार्ड बनवाने के लिए नागरिकों की सूचनाएं और बायोमेट्रिक पहचान ली जाती है। इस तरह नागरिकों का ब्योरा एकत्र करना निजता के अधिकार का उल्लंघन है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह उन प्रश्नों की सूची उन्हें दे जिन्हें वह संविधान पीठ को विचार के लिए भेजना चाहती है। कोर्ट के कहने पर केंद्र सरकार ने कानूनी प्रश्न कोर्ट को दिए। सरकार जिन प्रश्नों को संविधान पीठ को भेजना चाहती है उनमें मुख्य सवाल है कि क्या निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है।

सरकार का कहना है कि एमपी शर्मा बनाम सतीश शर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट की आठ न्यायाधीशों की पीठ ने इसके विपरीत व्यवस्था दी थी। इतना ही नहीं खड़क सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में छह न्यायाधीशों की पीठ ने भी इसे मौलिक अधिकार नहीं माना था।

जबकि इसके विपरीत कुछ छोटी पीठों ने अपने फैसलों में निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार बताया है और इसे अनुच्छेद 21 में मिले जीवन के अधिकार से जोड़ा है। सरकार का यह भी सवाल है कि अगर यह मौलिक अधिकार है तो उसका दायरा क्या है। अगर कोर्ट मामले को संविधान पीठ को भेजने का फैसला सुनाता है तो फिर आधार से जुड़ी योजनाओं के बारे में भी कोर्ट को कोई अंतरिम आदेश देना होगा।


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