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    अपनी शर्त पर लौटना चाहता था दाऊद

    By Sachin kEdited By:
    Updated: Sun, 05 Jul 2015 05:48 AM (IST)

    अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के आत्मसमर्पण संबंधी राम जेठमलानी के दावे पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार ने कहा है कि वह अपनी शर्त पर भारत लौटना चाहता था। वह चाहता था कि मुंबई में उसे गिरफ्तार कर जेल में नहीं डाला जाए। इसके बदले वह अपने घर पर

    राज्य ब्यूरो, मुंबई। अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के आत्मसमर्पण संबंधी राम जेठमलानी के दावे पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार ने कहा है कि वह अपनी शर्त पर भारत लौटना चाहता था। वह चाहता था कि मुंबई में उसे गिरफ्तार कर जेल में नहीं डाला जाए। इसके बदले वह अपने घर पर रहने की इजाजत मांग रहा था।

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    शनिवार को पत्रकारों से बात करते हुए पवार ने कहा कि हमने उसकी शर्त को मानने से इंकार कर दिया। हमने उससे कहा कि भारत आकर उसे कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा। खबरों के अनुसार, 1990 के दशक में जब पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे, उस समय दाऊद की ओर से यह प्रस्ताव आया था।

    पवार ने स्वीकार किया कि जेठमलानी ने उनके सामने दाऊद और छोटा शकील की सशर्त वापसी का प्रस्ताव रखा था। लेकिन डॉन अपनी शर्तों पर लौटना चाहता था, जिसे हमने नहीं माना। एक अंग्रेजी समाचार पत्र में छपी खबर के मुताबिक, 1993 के मुंबई शृंखलाबद्ध धमाके का मुख्य आरोपी दाऊद इब्राहिम भारत लौटकर आत्मसमर्पण करना चाहता था। लेकिन महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया।

    पवार के अनुसार उस समय की केंद्र सरकार भी दाऊद की सशर्त वापसी के लिए राजी नहीं थी। बता दें कि उस समय केंद्र में नरसिंह राव के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी। हालांकि छोटा शकील के मुताबिक, अब वे लोग भारत नहीं आना चाहते और दाऊद कोई बकरी का बच्चा नहीं है, जिसे भारतीय एजेंसियां जब चाहें पकड़कर भारत ले आएं।

    सवालों में घिरे पवार
    राम जेठमलानी ने कहा कि मैंने खुद दाऊद से बात की थी। मैंने लिखित में शरद पवार को प्रस्ताव दिया था। जेठमलानी के अनुसार शायद उन्हें डर था कि दाऊद और शकील आत्मसमर्पण के बाद कई बड़े नामों का खुलासा कर सकते हैं।

    भाजपा प्रवक्ता एमजे अकबर ने कहा कि इस तरह का कोई प्रस्ताव दिया गया था या नहीं, इस पर संदेह है। खुद पवार ही इस बारे में कुछ बता सकते हैं। हालांकि, जानेमाने वकील उज्ज्वल निकम का मानना है कि किसी अपराधी की गैरकानूनी शर्तों को कोई राजनेता नहीं मान सकता है।
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