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    'आधार' के लिए निजी एजेंसियों से डाटा संग्रह कराया जाना ठीक नहीं: सुप्रीम कोर्ट

    By Ravindra Pratap SingEdited By:
    Updated: Thu, 05 Jan 2017 09:31 PM (IST)

    आधार योजना की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले मामलों की जल्द सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इनकार किया।

    नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने आधार योजना की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले मामलों की जल्द सुनवाई से गुरुवार को इनकार किया। लेकिन यह टिप्पणी जरूर की कि आधार के लिए निजी एजेंसियों द्वारा डाटा संग्रह कराया जाना अच्छा विचार नहीं है।

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    वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने 'निजता' उल्लंघन को लेकर चिंता जताते हुए मामले की जल्द सुनवाई का आग्रह किया। इस पर प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा-- 'सीमित संसाधनों के कारण हम जल्द सुनवाई करने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन निजी एजेंसियों द्वारा बायोमेट्रिक डाटा संग्रह किया जाना अच्छा विचार नहीं है।'

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    इस मामले में एक याचिकाकर्ता के वकील दीवान ने कहा कि चूंकि इससे व्यक्तिगत निजता का मामला जु़़डा हुआ है और बायोमेट्रिक डाटा निजी एजेंसियां संग्रह कर रही हैं, इसलिए जल्द सुनवाई होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि इससे पहले 15 अक्टूबर, 2015 को आधार कार्ड के मामले में सुप्रीम कोर्ट से केंद्र को ब़़डी राहत मिली थी। कोर्ट ने आधार कार्ड को स्वैच्छिक रूप से मनरेगा, पीएफ, पेंशन और जनधन योजना के साथ लिंक करने की इजाजत दे दी थी, लेकिन साफ किया था कि इसे अनिवार्य नहीं किया जाएगा।

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    इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि केवल एलपीजी, केरोसिन और पीडीएस के लिए ही आधार कार्ड का इस्तेमाल हो सकता है। सरकार ने कोर्ट में कहा था कि आधार के जरिए सरकार देश के छह लाख गांवों में घर-घर पहुंची है। लोगों को मनरेगा का पैसा बैंक के जरिए दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री की जनधन योजना की सफलता में आधार की भूमिका रही है। आधार की वजह से सरकार के एलपीजी सबसिडी में एक साल में 15 से 20 हजार करो़ड़ बचाए गए।

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