शशिकला को चार साल की सजा, पूरे घटनाक्रम पर डालें नजर
शशिकला को जेल जाने के लिए तुरंत सरेंडर करना होगा और वह 10 साल तक वो चुनाव नहीं लड़ पाएंगी।
नई दिल्ली(जेएनएन)। आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को शशिकला को दोषी ठहराते हुए चार साल की सजा के साथ 10 करोड़ का जुर्माना भी लगाया है। अब शशिकला को जेल जाने के लिए तुरंत सरेंडर करना होगा और वह 10 साल तक वो चुनाव नहीं लड़ पाएंगी। इसी मामले में शशिकला के दो रिश्तेदार इलावरसी और सुधाकरण को भी कोर्ट ने दोषी पाया है और उन्हें भी चार साल की सजा सुनाई गई है।
इस मामले में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं जयललिता पर भी आरोप था लेकिन निधन की वजह से उन्हें बरी कर दिया गया।
इस मामले पर विस्तार से आइए डालते हैं एक नजर :
1996: जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष सुब्रहमण्यम स्वामी ने एक मामला दर्ज कराया। उन्होंने जयललिता पर आरोप लगाया कि 1991 से 1996 तक तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने 66.65 करोड़ की संपत्ति जमा की। यह उनके आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक है।
सात दिसंबर 1996 : मामले में जयललिता की गिरफ्तारी हुई।
1997: इस मामले में जयललिता और तीन अन्य के ख़िलाफ़ चेन्नई की एक अदालत में मुकदमा शुरू हुआ।
चार जून 1997: चार्जशीट में इन लोगों पर आईपीसी की धारा 120 बी, 13 (2) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1) (ई) के तहत आरोप लगाए गए।
एक अक्तूबर 1997: तत्कालीन राज्यपाल एम फातिमा बीबी की ओर से मुकदमा चलाने को दी गई मंजूरी की चुनौती देने वाली जयललिता की तीन याचिकाएं मद्रास हाई कोर्ट में खारिज हो गई।
अगस्त 2000 तक 250 गवाहों की गवाही हुई, केवल 10 बचे रहे।
मई 2001: विधानसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक को स्पष्ट बहुमत मिला। जयललिता मुख्यमंत्री बनीं लेकिन उनकी नियुक्ति को चुनौती दी गई। इसका आधार बनाया गया अक्तूबर 2000 में तमिलनाडु स्माल इंडस्ट्री कॉरपोरेशन (टीएएनएसआई) मामले में उन्हें दोषी ठहराया जाना। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति रद की।
21 फरवरी 2002: जयललिता आंदीपट्टी विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में विजयी हुईं और मुख्यमंत्री पद की शपथ लीं।
2003: द्रमुक महासचिव के अनबझगम ने इस मामले को कर्नाटक स्थानांतरित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। उनका कहना था कि जयललिता के मुख्यमंत्री रहते तमिलनाडु में इस मामले की निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है।
18 नवंबर 2003: सुप्रीम कोर्ट ने आय से अधिक मामले को बेंगलुरु ट्रांसफर किया।
19 फरवरी 2005: कर्नाटक सरकार ने राज्य के पूर्व महाधिवक्ता बीवी आचार्य को इस मामले में विशेष सरकारी वकील नियुक्त किया।
अक्तूबर-नवंबर 2011 : जयललिता विशेष अदालत में पेश हुईं और 1339 सवालों के जवाब दिए।
12 अगस्त 2012 : आचार्य ने इस मामले में विशेष सरकारी वकील के रूप में काम करने में असमर्थता जताई। कर्नाटक सरकार ने जनवरी 2013 में उनका इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया।
2 फरवरी 2013: कर्नाटक सरकार ने जी भवानी सिंह को विशेष सरकारी वकील नियुक्त किया।
26 अगस्त 2013: कर्नाटक सरकार ने इस मामले से भवानी सिंह को हटाने की अधिसूचना जारी की।
30 सितंबर 2013: सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक सरकार की अधिसूचना रद की।
12 दिसंबर 2013: विशेष अदालत ने द्रमुक महासचिव की अपील पर जयललिता से 1997 में बरामद मूल्यवान वस्तुओं और अन्य संपत्तियों को चेन्नई में आरबीआई के खजाने में जमा कराने को कहा।
27 सितंबर 2014: विशेष अदालत ने अपने फैसले में जयललिता और शशिकला समेत तीन को दोषी ठहराया। जयललिता को चार साल की जेल और 100 करोड़ रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई।
29 सितंबर 2014: जयललिता ने कर्नाटक हाई कोर्ट में विशेष अदालत के फैसले को चुनौती देकर जमानत की मांग की।
7 अक्तूबर 2014: हाई कोर्ट में जमानत याचिका खारिज।
9 अक्तूबर 2014: जयललिता ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की। 14 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट को तीन महीने में सुनवाई पूरी करने को कहा।
18 अक्तूबर 2014: 21 दिन जेल में बिताने के बाद जयललिता रिहा हुईं।
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11 मार्च 2015: जयललिता की अपील पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने आय से अधिक मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा।
27 अप्रैल 2015: द्रमुक महासचिव ने कर्नाटक हाई कोर्ट से फैसला सुनाने की अपील की।
8 मई 2015: कर्नाटक हाई कोर्ट ने अधिसूचित किया कि जस्टिस सीआर कुमारस्वामी की विशेष अवकाशकालीन पीठ जयललिता की अपील पर 11 मई 2015 को फैसला सुनाएगी।
11 मई 2015: कर्नाटक हाई कोर्ट ने जयललिता और तीन अन्य को बरी कर दिया।
23 जून 2015: आय से अधिक संपत्ति मामले से जयललिता को दोषमुक्त किए जाने को कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
27 जुलाई 2015: कर्नाटक सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने जयललिता को नोटिस जारी किया।
23 फरवरी 2016 : जयललिता को दोषमुक्त किए जाने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू की।
7 जून 2016: जयललिता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित किया।
5 दिसंबर 2016: लंबी बीमारी के बाद तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता का निधन।
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