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    सुप्रीम कोर्ट ने भी सीवीसी की चयन प्रक्रिया पर उठाए सवाल

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    Updated: Fri, 19 Sep 2014 08:54 AM (IST)

    मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) और सतर्कता आयुक्त की चयन प्रक्रिया फिर सवालों में है। सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को सरकार की खिंचाई करते हुए कहा, ऐसे ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) और सतर्कता आयुक्त की चयन प्रक्रिया फिर सवालों में है। सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को सरकार की खिंचाई करते हुए कहा, ऐसे चयन में पारदर्शिता ही खासियत होनी चाहिए। इन हाउस चयन प्रक्रिया की आलोचना होती है क्योंकि वह पारदर्शी नहीं होती और उसमें पक्षपात-भाई भतीजावाद को बढ़ावा मिलता है। कोर्ट ने चयन प्रक्रिया सिर्फ आइएएस अफसरों तक सीमित रहने पर भी सवाल किए। कोर्ट के रुख को देखते हुए सरकार ने सीवीसी व वीसी की चयन प्रक्रिया फिलहाल थामने का मन बनाया है। एटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, नियुक्ति प्रक्रिया में करीब एक माह का समय लगता है। जब तक मामला कोर्ट में है, तब तक नियुक्तियों पर अंतिम फैसला नहीं लिया जाएगा।

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    मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरुवार को कहा, सीवीसी चयन की मौजूदा इन हाउस प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है। लोग चयन में पारदर्शिता चाहते हैं। ऐसी चयन प्रक्रियाओं में पारदर्शिता ही मानक होना चाहिए। पीठ ने कहा, देश प्रतिभाओं से भरा है लेकिन आप उन तक नहीं पहुंच पाते। आप ऐसी प्रक्रिया क्यों अपनाते, जिससे अच्छे प्रतिभावान व्यक्तियों को मौका मिल सके। वहीं, एटार्नी जनरल ने कहा, अभी तक नियुक्ति पर कोई फैसला नहीं हुआ है। यहां तक की अभी प्रक्रिया आधी भी नहीं हुई है। कुल फ्म् सचिवों से नाम मांगे गए हैं जो क्ख्भ् नाम बताएंगे। इनमें से गृह मंत्रालय ख्0 नाम चुनेगा। फिर पांच नाम छांटे जाएंगे और उनमें से एक नाम पर मुहर लगेगी। इस प्रक्रिया में करीब एक माह लगेगा। पीठ ने कहा, सरकार ने सारा दारोमदार सचिवों पर छोड़ दिया है तो फिर चयन प्रक्रिया आम आदमी तक कैसे पहुंच पाएगी। सरकार ऐसी संस्था क्यों नहीं बनाती जो इस पर विचार करे। एजी द्वारा निर्देश लेकर सूचित करने के लिए एक माह का समय मांगा। कोर्ट ने सुनवाई क्ब् अक्टूबर तक टाल दी।

     

    ज्ञात हो, गैर सरकारी संगठन सेंटर फार इंटीग्रिटी गवर्नेन्स एंड ट्रेनिंग इन विजिलेंस एडमिनिस्ट्रेशन ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सीवीसी नियुक्त प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। याचिका में डीओपीटी के सचिव द्वारा सरकार के विभिन्न महकमों में तैनात सचिवों को लिखे गए पत्र को आधार बनाया गया है जिसमें सीवीसी और वीसी पद पर नियुक्ति के लिए नामों का सुझाव देने को कहा गया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह इनहाउस चयन प्रक्रिया सिर्फ आइएएस अफसरों तक ही सीमित है जबकि सुप्रीम कोर्ट का पूर्व फैसला समाज के विभिन्न वर्गो में काम करने वाले प्रतिभावान लोगों को भी चयन प्रक्रिया में शामिल करने की बात करता है।