मौत को मात देकर अस्पताल से डिस्चार्ज हुए CRPF कमांडेंट चेतन चीता
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 92 वीं बटालियन के कमांडेंट चेतन कुमार चीता की हालत में तेजी से सुधार हो रहा है
नई दिल्ली(जेएनएन)। सीआरपीएफ के कमांडेंट चेतन कुमार चीता को आज दिल्ली के एम्स अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है। इस मौके पर एम्स के डॉक्टर अनुराग श्रीवास्तव ने मीडिया से बात करते हुए जानकारी दी कि चीता की सेहत में तेज़ी से सुधार हो रहा है और आज उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया जा रहा है। चेतन जैसे ही दिल्ली स्थित नजफगढ़ अपने घर पहुंचे परिजनों ने उनका जोरदार स्वागत किया।
उन्होंने कहा कि अभी उनका रिहैबिलिटेशन जारी रहेगा। डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि चीता लोगों से बात कर रहे हैं और लोगों को पहचान भी रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक गोली ने उनकी दायीं आँख को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया है जिसकी वजह से वो आँख ख़राब हो गयी है। बायीं आँख पूरी तरह से ठीक है। गोली लगने के कारण चीता शरीर के कुछ हिस्से पूरी तरह से काम नहीं कर पा रहे हैं। डॉक्टर ने बताया की चेतन चीता की दृढ़ इच्छा शक्ति ने उनके ठीक होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
#WATCH Live via FB: Press briefing by AIIMS over health status of Chetan Cheeta(injured in Bandipora(J&K) encounter) https://t.co/3mo97GWqBv pic.twitter.com/XiMBUEvhAy
— ANI (@ANI_news) April 5, 2017
चीता के शरीर में लगी थी नौ गोलियां
चेतन ने तैनाती के कुछ ही महीनो में अभूतपूर्व साहस का परिचय दिया। वो कश्मीर में आतंकवादियों के बीच दहशत का पर्याय बन चुके थे। उन्होंने 20 जनवरी को बांदीपोरा इलाके में आतंकियों से मुठभेड़ में मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड जाकिर उर रहमान लखवी के भांजे और लश्कर कमांडर अबू मुसैब को मार गिराया था।
इस घटना के ठीक 20 दिन बाद चेतन को हंदवाड़ा के खान मोहल्ले में आतंकवादियों के छिपे होने की खबर मिली। बिना समय गवाते हुए चेतन अपनी टीम के साथ आतंकियों को पकड़ने निकल पड़े। आतंकियों के साथ मुठभेड़ में चेतन के शरीर में कुल नौ गोलियां लगीं। उनकी ओर से भी 16 रांउड गोलियां दागी गयी। जबकि आतंकियों ने 30 राउंड गोलियां चलायी। उनकी फायरिंग में लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर अबु मुसाब मारा गया। इस एनकाउंटर में एक गोली उनके आंख से होकर गुजर गयी।
एनकाउंटर में घायल चेतन को प्राथमिक इलाज के लिए श्रीनगर स्थित सेना के 92 बेस हॉस्पीटल में लाया गया। जहां से एयरलिफ्ट करके उन्हें दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां 14 फरवरी से उनका इलाज जारी है।
हनुमनथप्पा से की जा रही है तुलना
मौत को मात देने वाले सेना के वीर जवान चेतन की तुलना सियाचिन में तैनात हनुमंथप्पा से की जा रही है। हनुमंथप्पा वही बहादुर सैनिक हैं, जो सियाचिन में अपने मोर्चे पर तैनाती के दौरान एक हिमस्खलन में बर्फ के नीचे छह दिनों तक दबे रहे। इसके बावजूद उन्हें मलबे से जीवित बाहर निकाला गया। हालांकि इस दौरान शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था, जिससे उनकी मृत्यु हो गई थी। हनुमंथप्पा की तरह चेतन भी नौ गोलियां लगने के बाद भी मौत को मात देने में कामयाब रहे।
चीता के सिर के आर- पार हो गयी थी गोली
मुठभेड़ में आतंकियों की ओर से चेतन पर एक साथ 30 गोलियां दागी गयी, जो उनके शरीर को छलनी कर गयी। एक गोली चेतन के सिर में लगी, जो सिर की हड्डी को चीरकर दाई आंख को फोड़ते हुए गाल को फाड़कर निकल गई। इस गोली ने ब्रेन का एक हिस्सा डैमेज कर दिया। एक गोली दाएं हाथ में, एक बाएं हाथ में, एक दाएं पैर में और दो गोलियां कमर के निचले हिस्से में लगी। कुल 9 बुलेट चेतन के शरीर में लगे थे। इसके बावजूद चेतन ने आतंकवादियों से लड़ते हुए 16 राउंड फायर किया।
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