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    भ्रष्टाचार बना बंगाल चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा

    By kishor joshiEdited By:
    Updated: Sun, 03 Apr 2016 01:48 PM (IST)

    बंगाल में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के प्रचार अभियान में आजादी के बाद पहली बार भ्रष्टाचार का मुद्दा प्रमुख रूप से छाया हुआ है।

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    नई दिल्ली। बंगाल में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के प्रचार अभियान में आजादी के बाद पहली बार भ्रष्टाचार का मुद्दा प्रमुख रूप से छाया हुआ है। सारधा घोटाला जिसमें लाखों निवेशकों ने अपनी पूंजी गवाई थी, के बाद नारद स्टिंग सामने आया था। इस स्टिंग में टीएमसी के नेता घूस लेते हुए दिखाई दे रहे थे।

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    6 चरणों में होने वाले बंगाल चुनाव के पहले चरण का मतदान कल होगा। समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए सीपीआई (एम) के राज्य सचिव सूर्यकांत मिश्रा ने कहा, "इस प्रकार की भ्रष्ट सरकार हमने पहले कभी नहीं देखी। लोकतंत्र और लोकतांत्रिक अधिकारों की बहाली के मुद्दे पर आपाताकाल के दौरान हमने सिद्धार्थ शंकर रे सरकार के खिलाफ संघर्ष किया था, लेकिन वहां इस तरह का भ्रष्टाचार नहीं था जैसा कि टीएमसी नेता कर रहे हैं। सारधा से लेकर नारद स्टिंग ऑपरेशन, भ्रष्टाचार इस चुनाव का एक प्रमुख मुद्दा है। बेरोजगारी जैसे कई मुद्दे भी यहां मौजूद हैं, लेकिन बंगाल के लोगों के लिए भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा है।" खेल मंत्री मदन मित्रा का उदाहरण देते हुए मिश्रा ने कहा, "क्या आपने पहले कभी देखा कि बंगाल के मंत्री को भ्रष्टाचार में शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया गया हो।"

    आजादी के बाद बंगाल में होने वाले चुनाव हमेंशा विचारधारा, सरकार की नीतियों, विपक्षी दलों के अधिकारों की बहाली, विकास, अद्यौगिकरण, बेरोजगारी और खाद्य सुरक्षा जैसे मुद्दों पर लड़े गए। लेकिन इससे पहले कभी भी इतने बड़े पैमाने पर राज्य सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे।

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    वहीं लेफ्ट के इन आरोपों से इनकार करते हुए तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमों और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा "सारधा घोटाला तो लेफ्ट सरकार के दौरान ही हुआ था, हमारी सरकार ने तो इस तरह की पोंजी कंपनियों को बंद किया और उनके अधिकारियों को गिरफ्तार किया। जबकि नारद स्टिंग ऑपरेशन एक "डॉक्टर्ड स्टिंग" है जो चुनाव से पहले टीएमसी नेताओं की छवि धूमिल करने के लिए किया गया है। टीएमसी देश की सबसे ईमानदार पार्टी है।"