मोदी का प्रभाव कम करने में जुटी कांग्रेस
युवाओं और शहरी मध्यवर्ग में नरेंद्र मोदी का जादू सिर चढ़कर बोलने की खबरों ने कांग्रेस के प्रबंधकों को अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया है। यह चाहे उनकी विशिष्ट वक्तृत्व शैली हो या फिर सोशल मीडिया से लेकर परंपरागत मीडिया तक में छवि गढ़ने के लिए लंबे अरसे से की जा रही टीम मोदी की तैयारियों का असर! फिलहाल हर सर्वेक्षण में युवाओं के बीच मोदी सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे हैं। पहली बार वोट डालने जा रहे करीब ढाई करोड़ मतदाताओं के अलावा अन्य युवा वोटरों के बीच मोदी की इस बढ़ती लोकप्रियता की काट के लिए कांग्रेस अब चौतरफा अभियान छेड़ने की तैयारी कर चुकी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। युवाओं और शहरी मध्यवर्ग में नरेंद्र मोदी का जादू सिर चढ़कर बोलने की खबरों ने कांग्रेस के प्रबंधकों को अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया है। यह चाहे उनकी विशिष्ट वक्तृत्व शैली हो या फिर सोशल मीडिया से लेकर परंपरागत मीडिया तक में छवि गढ़ने के लिए लंबे अरसे से की जा रही टीम मोदी की तैयारियों का असर! फिलहाल हर सर्वेक्षण में युवाओं के बीच मोदी सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे हैं। पहली बार वोट डालने जा रहे करीब ढाई करोड़ मतदाताओं के अलावा अन्य युवा वोटरों के बीच मोदी की इस बढ़ती लोकप्रियता की काट के लिए कांग्रेस अब चौतरफा अभियान छेड़ने की तैयारी कर चुकी है।
इस कड़ी में सबसे पहले तो नरेंद्र मोदी के दावों का पोस्टमार्टम और उनके दिखाए जा रहे सपनों की बखिया कांग्रेस सोशल मीडिया से लेकर अपनी रैलियों तक में उधेड़ेगी। इतना ही नहीं, कांग्रेस के अपने सर्वेक्षणों में भी एक बात उभर कर आई है कि सशक्त नेता के मुद्दे में भी मोदी फिलहाल कांग्रेस पर बीस साबित हो रहे हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को सोच-समझकर सियासत में खर्च करने की रणनीति का भी विपरीत असर पड़ रहा है। कांग्रेस के प्रबंधक मान रहे हैं कि मोदी की घेरेबंदी के साथ-साथ राहुल को युवा चेहरे के रूप में तेजी के साथ पेश करना होगा। साथ ही उन्हें ज्यादा मुखर और गरीबों के हमदर्द के रूप में पेश करने की जरूरत है।
खाद्य सुरक्षा से लेकर भूमि अधिग्रहण विधेयकों को अपनी हालिया दो रैलियों में कुछ इसी अंदाज में राहुल पेश भी कर चुके हैं। दरअसल, कांग्रेस आम आदमी, गरीब और किसानों पर ध्यान केंद्रित तो कर रही है, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में उसकी सफलता गांवों के साथ-साथ शहरों में भी बराबर की ही थी। गांवों में वह मनरेगा और किसान माफी कर्ज योजना को श्रेय दे रही थी तो शहरी मध्यम वर्ग का युवा भी राहुल गांधी में काफी उम्मीदें देख रहा था। ऐसे में कांग्रेस के प्रबंधक मान रहे हैं कि युवाओं का मोदी के प्रति रुझान उसे नुकसान पहुंचाएगा।
इसीलिए, साइबर टीम और प्रवक्ताओं की फौज में कांग्रेस और ज्यादा इजाफा कर रही है। पूरे देश से करीब 90 युवा नेताओं को चुनकर उन सबको तीन दिन प्रशिक्षण देकर परीक्षा भी ली गई। इसके बाद कुल 10 और प्रवक्ता चुने गए हैं। इस तरह पार्टी प्रवक्ताओं की संख्या 46 हो गई। मोदी ने सोशल मीडिया पर भी बहुत मेहनत की है। लिहाजा उनके दावों की पोल खोलने के लिए कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम भी सुनियोजित तरीके से अब अभियान चलाने जा रही है। सोशल मीडिया पर मोदी को 'फेंकू' साबित करने के साथ ही राहुल को रैलियों में झोंकने की कार्ययोजना का असर अगले माह के पहले हफ्ते से दिखने लगेगा। पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि मोदी का जैसा मायाजाल दो माह पहले तक था, वह अब उतर रहा है। बाकी उनके झूठे दावों और वादों की पोल अब जमीन से लेकर साइबर की दुनिया तक में हम खोलेंगे।
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