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    पीएम मोदी का सियासी ग्राफ नहीं घटने से कांग्रेस परेशान

    By Manish NegiEdited By:
    Updated: Sun, 23 Oct 2016 03:55 AM (IST)

    कांग्रेस का थिंक-टैंक उत्तरप्रदेश में पीएम और भाजपा पर नए तरीके से सियासी वार की रणनीति पर मंथन कर रहा है।

    नई दिल्ली, (संजय मिश्र)। उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में सियासी एवरेस्ट चढ़ने की मशक्कत में जुटी कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक ग्राफ में कमी नहीं आने से परेशान है।

    पार्टी का मानना है कि आर्थिक विकास से लेकर रोजगार सृजन और निवेश से लेकर निर्यात के पैमाने पर एनडीए सरकार अपने वादों से काफी पीछे है। मगर इसके बावजूद प्रधानमंत्री का राजनीतिक ग्राफ अभी नीचे नहीं जा रहा है। इसके मद्देनजर कांग्रेस का थिंक-टैंक उत्तरप्रदेश में पीएम और भाजपा पर नए तरीके से सियासी वार की रणनीति पर मंथन कर रहा है।

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    पार्टी सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय मुद्दों और उत्तरप्रदेश के चुनावी माहौल के समानांतर कांग्रेस के अंदरूनी आकलन का निष्कर्ष है कि पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर लोगों का भरोसा अभी डिगा नहीं है। उत्तरप्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के बीच सियासी उतार-चढ़ाव में सबसे बड़ा अंतर भी यही है। इस आकलन पर कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने अनौपचारिक चर्चा में कहा कि सरकार के कामकाज की वजह से पीएम का ग्राफ उपर जाना कोई नई बात नहीं है। लेकिन मोदी के संदर्भ में दिलचस्प यह है कि आर्थिक विकास की जिस गति, हर साल दो करोड़ नई नौकरियां-रोजगार सृजन, औद्योगिक उत्पादन और निर्यात बढ़ाने से लेकर कृषि क्षेत्र की तस्वीर पूरी तरह बदलने का भाजपा ने जो चुनावी वादा किया था वह सब लक्ष्य से काफी पीछे है। पर सरकार के इस प्रदर्शन का असर प्रधानमंत्री के निजी ग्राफ पर कुछ खास होता नहीं दिख रहा है।

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    कांग्रेस के दूसरे वरिष्ठ नेता ने इस बारे में कहा कि सरकार के प्रदर्शन के मुकाबले प्रधानमंत्री का सियासी ग्राफ उपर होना कहीं न कहीं विपक्षी खेमे की कमजोरी दर्शाता है। इसका राजनीतिक संकेत यही है कि मोदी के मुकाबले विपक्ष के मजबूत चेहरे को लेकर जनता में कोई स्पष्ट तस्वीर नहीं बन रही है। उन्होंने कहा कि जाहिर तौर पर स्थिति पार्टी के लिए चिंता ही नहीं दोहरी चुनौती भी है।

    पहली चुनौती जहां सरकार के साथ मोदी की शख्सियत पर प्रहार करते हुए सियासी ग्राफ को बढ़ने से रोकना है। तो दूसरी चुनौती कांग्रेस को अपने नेतृत्व को लेकर कैडर और जनता में भरोसा बढ़ाना है। पार्टी का थिंक-टैंक इस चुनौती को भांप रहा है। इसीलिए रणनीति के तहत पिछले कुछ समय से कांग्रेस एनडीए सरकार के ढाई साल के प्रदर्शन को औसत से कम बता सवाल उठा रही है।

    कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और रणदीप सुरजेवाला ने पिछले दिनों सरकारी आंकड़ों का सहारा लेकर अलग-अलग दिन एनडीए सरकार के प्रदर्शन पर सवाल उठाए थे। इसी रणनीति के तहत आने वाले दिनों में कांग्रेस की ओर से केन्द्र और पीएम के कामकाज पर प्रहार की गति और तेज होगी। मगर पार्टी को लगता है कि बात इतने से भी नहीं बनेगी। जनता के बीच सरकार के वादे पर खरा नहीं उतरने के मुद्दे को तथ्यों के साथ उछालना होगा। इस लिहाज से कांग्रेस उप्र, पंजाब और उत्तराखंड के चुनाव में इन राज्यों के स्थानीय मुद्दों के अलावा खासतौर पर एनडीए सरकार के ढाई साल के काम को भी चुनावी अखाड़े में उछालने को गंभीर है।

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