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    धर्मनिरपेक्षता का केंद्र बनने की कोशिश में कांग्रेस

    By manoj yadavEdited By:
    Updated: Thu, 13 Nov 2014 09:46 PM (IST)

    केंद्र में भाजपा सरकार और राज्यों में उसके बढ़ते प्रभाव के साथ देश में धर्मनिरपेक्ष गठबंधन को लेकर राजनीतिक दलों में लामबंदी तेज हो गई है। गुरुवार को नेहरू जन्मशती कार्यक्रम के आगाज में कांग्रेस ने नेहरू की विरासत को नई शक्ति देने की बात कह, इस मुद्दे को धार

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र में भाजपा सरकार और राज्यों में उसके बढ़ते प्रभाव के साथ देश में धर्मनिरपेक्ष गठबंधन को लेकर राजनीतिक दलों में लामबंदी तेज हो गई है। गुरुवार को नेहरू जन्मशती कार्यक्रम के आगाज में कांग्रेस ने नेहरू की विरासत को नई शक्ति देने की बात कह, इस मुद्दे को धार देने की कोशिश की। लोकसभा चुनाव में मिली पराजय से उबर रही कांग्रेस की कोशिश नेहरू के बहाने गैर भाजपा दलों के केंद्र के रूप में खड़े होने की है। राजधानी में पंडित नेहरू को लेकर 17, 18 नवंबर को होने वाले अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन के जरिये गैर राजग दलों को आमंत्रित कर कांग्रेस ने पहल भी कर दी है। हालांकि, लोकसभा चुनावों से पहले इन दलों के लिए स्वाभाविक केंद्र बनने का काम कर रही कांग्रेस को इस बार एक होने की प्रक्रिया में चल रहे समाजवादी कुनबे की तगड़ी चुनौती से जूझना होगा।

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    लेकिन कांग्रेस के साथ खड़े होने को तैयार नहीं

    भाजपा को चुनौती देने की तैयारी में जुटे इन दलों के नेताओं ने कांग्रेस के निमंत्रण को लेकर सकारात्मक रूख तो दिखाया है, लेकिन लंबी राजनीतिक लड़ाई में वह कांग्रेस के साथ खड़े होने को तैयार नही है। जबकि, इन दलों के भीतर आपसी द्वंद्व पर निगाह जमाए कांग्रेस की कोशिश इन पार्टियों को अपने साथ लेने की है। अभी संगठन को मजबूत करने के काम में लगी कांग्रेस की मंशा भाजपा के खिलाफ विपक्ष की एकता को बिखरने से रोकने की है। पार्टी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के किसी दूसरे केंद्र बनने के खिलाफ भी है।

    पिछलग्गू नहीं बनना चाहते

    जबकि, कभी गैर कांग्रेस वाद के नाम पर एक हुए जनता परिवार को भाजपा के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश में जुटे समाजवादी नेता अब कांग्रेस के पीछे खड़े होने से कतरा रहे हैं। दरअसल, राज्यों की राजनीति में कांग्रेस से आगे खड़े क्षेत्रीय दल राष्ट्रीय राजनीति में अब कांग्रेस के पिछलग्गू नही रहना चाहते। ऐसे में इन पुराने समाजवादी नेताओं ने कांगे्रस को लेकर भी समान दूरी बरतने के संकेत दिए हैं।

    भ्रम न रखे कांग्रेस

    एक सप्ताह पहले सपा प्रमुख के आवास पर जनता परिवार की बैठक में जदयू नेता नीतीश कुमार ने आगामी संसद सत्र के लिए अलग रणनीति तय करने की बात कह व कांग्रेस साथ आने पर एतराज न करने की बात कह कर सकेंत दिया था कि वह ऐसे किसी गठजोड़ का नेता होने का भ्रम न रखे।

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