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    .न कुछ देखा, न सुना

    'बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो, बुरा मत सुनो।' शायद यह कहावत प्रदेश 'सरकार' पर एकदम सटीक बैठती है। कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की डिनर-पार्टी में मौजूद पूरी 'सरकार' ने न कुछ देखा, न कुछ सुना और न ही उन्हें कुछ पता था। तमाम मंत्री, विधायक, नेतागण, कार्यकर्ता, यहां तक की गनर, वेटर तक पूरी तर

    By Edited By: Updated: Wed, 18 Sep 2013 12:52 PM (IST)

    अंकुर अग्रवाल, देहरादून। 'बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो, बुरा मत सुनो।' शायद यह कहावत प्रदेश 'सरकार' पर एकदम सटीक बैठती है। कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की डिनर-पार्टी में मौजूद पूरी 'सरकार' ने न कुछ देखा, न कुछ सुना और न ही उन्हें कुछ पता था। तमाम मंत्री, विधायक, नेतागण, कार्यकर्ता, यहां तक की गनर, वेटर तक पूरी तरह खामोश थे। मानो सबने सिर्फ एक ही बयान 'रटा' हुआ हो। सवाल घुमाकर पूछो या सीधा, जवाब वही रटा-रटाया।

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    माहौल में भी कुछ 'अटपटा' सा नहीं। सब कुछ सामान्य। हां, एक कुर्सी पर खून लगा हुआ था और जमीन पर भी काफी खून पड़ा हुआ, पर 'चुप' रहने की कसम खा चुके कुछ 'महाशय' इसे चटनी का दाग बताते रहे तो कुछ यह बोलते रहे कि, बस अभी-अभी पहुंचे हैं। बहरहाल, जो कुछ हुआ सबके सामने हुआ, पर यह 'खमोशी' बुधवार को विधानसभा सत्र में जरूर 'रोचक-मोड़' ला सकती है।

    समय: रात करीब साढ़ नौ बजे।

    स्थान: यमुना कालोनी में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का सरकारी आवास। बगल में विस अध्यक्ष समेत कई मंत्रियों के आवास भी। पूरा वीआइपी क्षेत्र। काबीना मंत्री हरक सिंह रावत के आवास पर रात्रि-भोज। पूरी हलचल व मुख्यमंत्री को छोड़कर पूरी प्रदेश 'सरकार' मौजूद। तमाम बड़ी हस्तियां। भोजन और बातचीत का दौर चल रहा और मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के आने का इंतजार। तभी अचानक गोलियों की तड़तड़ाहट से पार्टी में मौजूद हर कोई स्तब्ध रह गया।

    माहौल में एकदम सन्नाटा छा गया। न किसी को अंदर से बाहर आने दिया गया न ही बाहर से कोई अंदर जा सका। बाहर मुख्यमंत्री के आने की बाट जोह रहा पुलिस प्रशासन भी मौजूद, लेकिन मानो उसने भी गोलियों की तड़तड़ाहट न सुनी हो।

    पुलिस ने अंदर जाकर जांच की हिम्मत नहीं की। पुलिस व प्रशासन के आला अफसरों को जब सूचना मिली तो, घटना 'मैनेज' करने की कोशिश शुरू हो गई। इस घटना के बाद मुख्यमंत्री तो पहुंचे ही नहीं और बाकी हस्तियां भी एक-एक कर चुपचाप खिसक लीं। ऐसे में कोई गुरेज नहीं कि, सरकार शायद 'बंद आंख' और 'खामोश जुबान' पर चल रही है।

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