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    सरकारी स्कूलों में कंपनियां बनाएंगी एक लाख शौचालय

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सरकारी स्कूलों में शौचालय और उनके रखरखाव की समस्या जल्दी ही हल हो सकती है। सरकारी और निजी कंपनियों ने एक लाख स्कूलों में अपने स्तर पर शौचालय बनाने का वादा किया है। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के साथ बैठक में ये कंपनियां आगे आई हैं। इनमें सरकारी कंपनी एनटीपीसी से लेकर टीसीएस, भारती और अंबुजा

    By Murari sharanEdited By: Updated: Tue, 14 Oct 2014 08:27 PM (IST)

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सरकारी स्कूलों में शौचालय और उनके रखरखाव की समस्या जल्दी ही हल हो सकती है। सरकारी और निजी कंपनियों ने एक लाख स्कूलों में अपने स्तर पर शौचालय बनाने का वादा किया है। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के साथ बैठक में ये कंपनियां आगे आई हैं। इनमें सरकारी कंपनी एनटीपीसी से लेकर टीसीएस, भारती और अंबुजा सीमेंट जैसी निजी कंपनियां भी शामिल हैं।

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    अगले साल तक सभी स्कूलों में सुचारु शौचालय सुनिश्चित करने के अभियान के तहत स्मृति ईरानी ने मंगलवार को विभिन्न कंपनियों के अधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें अकेले सरकारी कंपनी एनटीपीसी ने ही 24 हजार शौचालय बनाने का वादा किया है। ईरानी ने भरोसा दिलाया है कि कंपनियों को इस काम में सरकारी तंत्र का पूरा सहयोग मिलेगा। आइटी कंपनी इंफोसिस के ट्रस्ट इंफोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष सुधा मूर्ति ने भुवनेश्वर के 109 स्कूलों को शौचालय निर्माण के लिए बुक किया।

    मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने वेबसाइट पर देशभर के तमाम स्कूलों में शौचालय की स्थिति के बारे में सूचना उपलब्ध करवाने के साथ ही कंपनियों के लिए आनलाइन ही उस स्कूल को चुनने की सुविधा दी गई है। बैठक के दौरान टीसीएस, टोयोटा किर्लोस्कर, भारती फाउंडेशन और अंबुजा सीमेंट ने भी बड़ी संख्या में स्कूलों में शौचालय बनाने का वादा किया है। मंत्रालय का दावा है कि इन कंपनियों की मदद से देशभर के एक लाख स्कूलों में शौचालय बना लिए जाएंगे। बाकी स्कूलों में सरकार अपने स्तर पर शौचालय बनवाएगी।

    गौरतलब है कि 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले साल भर में देशभर के सभी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग से एक शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा था। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इसके लिए 'स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय' अभियान चलाया है। कंपनियों को उनके कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबलिटी कोष का पैसा इस काम पर खर्च करने के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है। ये कंपनियां तय समय के लिए उन शौचालयों के रखरखाव का जिम्मा भी लेंगी।