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    कांग्रेस सरकार के समय हुए एंब्रेयर विमान सौदे में दी गई थी 36 करोड़ की दलाली

    By Atul GuptaEdited By:
    Updated: Fri, 21 Oct 2016 08:46 PM (IST)

    ब्राजील के अखबार ने दलाली की खुलासा किया था। इसके अनुसार कंपनी ने सउदी अरब और भारत में सौदा हासिल करने के लिए बिचौलियों की सेवा ली थी।

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। संप्रग सरकार के दौरान हुआ एक और विमान सौदा दलाली के आरोपों में है। 2008 में एंब्रेयर विमान बेचने के लिए ब्राजील की कंपनी ने दलाली थी। दलाली के पुख्ता सबूत मिलने के बाद सीबीआइ ने रक्षा सौदे की दलाली करने के आरोपी विपिन खन्ना व अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर ली है। अनिवासी भारतीय विपिन खन्ना के देश छोड़कर भागने की आशंका को देखते हुए सीबीआइ ने लुक आउट सर्कुलर भी जारी कर दिया है।

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    दरअसल संप्रग सरकार के दौरान डीआरडीओ में ब्राजील की कंपनी से 1391 करोड़ रुपये में तीन एंब्रेयर विमान खरीदे गए थे। सीबीआइ की एफआइआर के अनुसार इन विमानों की खरीद सुनिश्चित करने के लिए कंपनी ने विपिन खन्ना के मार्फत 36.5 करोड़ रुपये की दलाली दी थी। दलाली की यह रकम लंदन में रहने वाले एनआरआइ विपिन खन्ना की सिंगापुर स्थित कंपनी के मार्फत भेजी गई थी। माना जा रहा है कि विपिन खन्ना के मार्फत दलाली की रकम रक्षा मंत्रालय और डीआरडीओ के कुछ अधिकारियों को भी दी गई थी। सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन अधिकारियों की पहचान की कोशिश की जा रही है।

    डीआरडीओ के अनुरोध पर पिछले महीने सीबीआइ ने इस मामले की प्रारंभिक जांच शुरू की थी। एक महीने के भीतर ही सीबीआइ को दलाली की रकम दिये जाने के पुख्ता सबूत मिल गए। इसके साथ ही सीबीआइ को पता चला कि विपिन खन्ना फिलहाल भारत में है। इसी कारण बुधवार को एफआइआर दर्ज कर गुरूवार को विपिन खन्ना के दिल्ली स्थित कई ठिकानों की तलाशी ली गई। अब जल्द ही जांच अधिकारी विपिन खन्ना को पूछताछ के लिए बुलाने की तैयारी में है। विपिन खन्ना इस केस में दलाली की अहम कड़ी है। एक बार यदि विपिन खन्ना देश के बाहर चला गया तो फिर घोटाले के आरोपियों तक पहुंचना मुश्किल हो जाएगा। विपिन खन्ना को विदेश जाने से रोकने के लिए सभी आव्रजन केंद्रों को लुक आउट सर्कुलर जारी कर दिया है। विपिन खन्ना का नाम इसके पहले 2007 में फुड फार आयल घोटाले में भी आया था।

    दरअसल ब्राजील के अखबार ने दलाली की खुलासा किया था। इसके अनुसार कंपनी ने सउदी अरब और भारत में सौदा हासिल करने के लिए बिचौलियों की सेवा ली थी। भारत के रक्षा खरीद नियमों के अनुसार इस तरह के सौदे में बिचौलियों पर सख्ती से प्रतिबंध है. ब्राजील के अखबार 'फोल्हा डि साओ पाउलो' ने लिखा था कि कंपनी ने ब्रिटेन में रहने वाले एक रक्षा एजेंट को भारत के साथ सौदे को अंतिम रूप देने के लिए कथित तौर पर कमीशन का भुगतान किया था.

    डीआरडीओ ने ये विमान भारतीय वायु सेना के लिए हवाई रडार प्रणाली एयर बॉर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम्स या अवाक्स में इस्तेमाल के लिए खरीदा था। इस मामले की अमेरिकी न्याय विभाग 2010 से ही जांच कर रहा है।

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