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    कैबिनेट की मंजूरी के बाद कोयला ब्लॉकों की नीलामी आज से

    By Sanjay BhardwajEdited By:
    Updated: Thu, 25 Dec 2014 09:20 AM (IST)

    पिछले चार वर्षो से राजनीतिक विवाद की वजह बने कोयला ब्लॉकों की नए सिरे से नीलामी गुरुवार से शुरू हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रद किए गए कुल 204 क ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। पिछले चार वर्षो से राजनीतिक विवाद की वजह बने कोयला ब्लॉकों की नए सिरे से नीलामी गुरुवार से शुरू हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रद किए गए कुल 204 कोल ब्लॉकों में से 24 की नीलामी खुली निविदा प्रक्रिया के तहत पहले दौर में की जाएगी। नीलामी प्रक्रिया के प्रावधानों को गुरुवार को कैबिनेट ने भी मंजूरी दे दी।

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    पहले चरण में सात ब्लॉक बिजली उत्पादकों को और बाकी स्टील व आयरन ओर कंपनियों को दिए जाएंगे। नीलामी से होने वाली पूरी आमदनी राज्यों को दे दी जाएगी। कोयला मंत्रलय का आकलन है कि 204 ब्लॉकों की नीलामी से राज्यों को अगले 30 वर्षो में सात लाख करोड़ रुपये का राजस्व हासिल होगा। इसका सबसे ज्यादा हिस्सा उड़ीसा, छत्तीसगढ़, झारखंड और पश्चिम बंगाल को मिलेगा।

    कोयला सचिव अनिल स्वरूप ने यहां संवाददाताओं को बताया कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार कदम उठा रही है। उन्होंने भरोसा जताया कि 31 मार्च, 2015 तक कोर्ट की तरफ से रद सारे कोल ब्लॉकों को नीलाम कर दिया जाएगा। इन ब्लॉकों की नीलामी होने और इनसे उत्पादन शुरू होने के बाद दो से तीन वर्षो में देश कोयला उत्पादन में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो जाएगा।

    सरकार ने नीलामी की शर्ते इस तरह से तय की हैं कि अगर कोई बिजली कंपनी कम कीमत पर कोयला ब्लॉक खरीदने में सफल रहती है तो उसे इसका लाभ बिजली ग्राहकों को भी देना होगा। यह लाभ कम बिजली दर के तौर पर ग्राहकों को मिलेगा। सरकार ने इस बात की भी व्यवस्था की है कि नीलामी प्रक्रिया में कंपनियां किसी तरह का कार्टेलाइजेशन न कर सकें। कंपनियों के हितों का भी पूरा ख्याल रखा गया है। हर नीलाम ब्लॉक से साथ यह शर्त है कि खरीदार कंपनी अपनी जरूरत पूरा करने के बाद ही शेष बचे कोयले को खुले बाजार में बेच सकती है।

    कोयला और बीमा विधेयक पर अध्यादेश लाई सरकार

    विपक्ष के अड़ियल रवैये से अटके कोयला व बीमा विधेयकों को कानून का रूप देने के लिए अध्यादेश लाकर सरकार ने साफ कर दिया है कि देश अब सुधारों के लिए इंतजार नहीं करेगा। अहम सुधारों के मुद्दे पर विपक्ष अगर साथ नहीं देता है तो भी सरकार लंबित आर्थिक सुधारों को लागू करेगी। जरूरत पड़ने पर सरकार इसके लिए संसद का संयुक्त सत्र भी बुला सकती है।

    वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि संसद का एक सदन भले ही अनिश्चितकाल तक प्रतीक्षा करे, लेकिन देश इंतजार नहीं कर सकता। जेटली ने यह बयान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में कोयला और बीमा कानूनों में संशोधन के लिए अध्यादेश को मंजूरी देने के बाद दिया।

    राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अधिसूचना जारी होने पर दोनों अध्यादेश कानून का रूप ले लेंगे। बीमा कानून संशोधन अध्यादेश के जरिये सरकार ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत की है वहीं कोयला अध्यादेश के जरिये कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया शुरू हो सकेगी।

    बीमा विधेयक राज्य सभा में लंबित है जबकि कोयला विधेयक लोक सभा से पारित हो चुका है। राज्य सभा में सरकार अल्पमत में है। इस वजह से दोनों विधेयक मंगलवार को समाप्त हुए शीतकालीन सत्र में विपक्ष के हंगामे के चलते राज्य सभा से पारित नहीं हुए। इसीलिए सरकार को अध्यादेश लाना पड़ा।

    जेटली ने संकेत दिया कि अगर अध्यादेशों को बजट सत्र में संसद की मंजूरी नहीं मिली तो सरकार जून में संसद का संयुक्त सत्र बुलाकर इन्हें मंजूरी दिला सकती है।

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