खतरे में है बिहार के सीएम जीतन राम मांझी की कुर्सी!
अपने बयानों से लगातार चर्चा में रहे बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की कुर्सी खतरे में नजर आ रही है। राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हो गई हैं कि खरवास बाद यानी 14 जनवरी के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाया जा सकता है।
नई दिल्ली/ पटना। अपने बयानों से लगातार चर्चा में रहे बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की कुर्सी खतरे में नजर आ रही है। राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हो गई हैं कि खरवास बाद यानी 14 जनवरी के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाया जा सकता है। इस मामले को लेकर जदयू और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के शीर्ष नेताओं के बीच बैठक में फैसला लिया जा सकता है। उधर, नीतीश कुमार ने कहा है कि जेडीयू में सब ठीक है। सब ठीक चल रहा है। जबकि राजद अध्यक्ष लालू यादव चाहते हैं कि नीतीश कुमार फिर से बिहार के मुख्यमंत्री का पदभार संभालें।
जदयू-राजद की बैठक में शीर्ष नेतृत्व इस बात पर चर्चा करेगा कि क्या जीतनराम मांझी को बदला जाए या नहीं। बैठक में अगर मांझी को बदलने पर सहमति बन जाती है तो इस बात पर भी चर्चा होगी कि बिहार का नया सीएम कौन बनेगा? इस बैठक में जदयू अध्यक्ष शरद यादव भी मौजूद रहेंगे। इन दिनों शरद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली में मौजूद हैं। ये लोग समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के साथ बैठक के लिए लिए दिल्ली पहुंचे हैं।
उधर पटना में जीतन राम मांझी को सीएम पद से हटाने को लेकर बयानबाजी तेज हो गई है। अटकले लगाई जा रही हैं कि खरवास बाद सीएम मांझी को पद से हटाया जा सकता है। दरअसल मांझी लगातार अपने बयानों से चर्चा में रहे हैं। कई बार तो उनके बयान उनकी ही पार्टी के लिए मुसीबत बनते नजर आए।
पार्टी से अलग सुर में बोलना ठीक नहीं
पटना, जागरण ब्यूरो। अपने विवादित बयानों से लगातार जदयू व बिहार सरकार की किरकिरी कराने वाले मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के ताजे बयान से उठ रहे विवाद को नीतीश कुमार ने भी सही नहीं माना है। बृहस्पतिवार को दिल्ली रवाना होने से पूर्व हवाई अड्डे पर एक सवाल के जवाब में नीतीश ने कहा कि पार्टी से अलग सुर में बोलना अच्छी बात नहीं है। हालांकि ऐसे बयान से जदयू की सेहत पर कोई फर्क नहीं पडऩे वाला।
गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने गत दिनों जदयू के चार बागी विधायकों की सदस्यता दोबारा बहाल कर दी थी। इस पर मांझी ने कहा था कि वे विधायकों की सदस्यता खत्म किए जाने के पक्ष में नहीं हैं। उनके इस बयान पर जदयू के भीतर विरोधी स्वर उठे और निंदा की गई। इस बाबत किए गए सवाल पर नीतीश ने बृहस्पतिवार को कहा कि 'मांझी मुख्यमंत्री बने रहेंगे या नहीं, इसका आश्वासन देने वाले हम कौन होते हैं, लेकिन पार्टी में सब ठीक चल रहा है। मांझी की अपनी अलग राजनीतिक पहचान है। पार्टी में रहते हुए अलग-अलग सुर में बोलना अच्छी बात नहीं है।'
सबकुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी
अपने बयान को लेकर चल रही चर्चा के बीच मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि 'सबकुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी, सच है दुनिया वालों कि हम हैं अनाड़ी।' पुरानी फिल्म का यह गीत गुनगुनाने के बाद बृहस्पतिवार को एक सभा में मांझी ने कहा कि मैं चालाक नहीं हूं, इसलिए मेरी हर बात हेडलाइन बन जाती है। मुझे सरकार देखना है और नीतीश को पार्टी, लिहाजा महागठबंधन पर मुझे कुछ नहीं बोलना है।
अपमान पर मांझी को इस्तीफा दे देना चाहिए
केंद्रीय मंत्री व लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान ने कहा कि नीतीश कुमार सिर्फ मांझी नहीं पूरे दलित समुदाय का अपमान कर रहे हैं। किसी मंत्री की क्या मजाल कि मुख्यमंत्री के बयान पर प्रतिकूल टिप्पणी करे? यह सब नीतीश कुमार के इशारे पर हो रहा है। इस अपमान के बाद मांझी को इस्तीफा दे देना चाहिए।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में जेडीयू के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद अस्थाई व्यवस्था के तौर पर जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। नीतीश कुमार ने सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखने के उद्देश्य से अपने विश्वस्त मांझी को मुख्यमंत्री पद सौंपा। लेकिन मांझी अपने बयानों के कारण उल्टे कई बार नीतीश के लिए ही मुसीबत बनते नजर आए। यहां तक की नीतीश के समर्थक विधायकों ने कई मौकों पर पार्टी नेतृत्व से मांझी का इस्तीफा लेने की मांग तक कर डाली।
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