चिदंबरम ने खत्म की बजट की विश्वसनीयता
नई दिल्ली [जाब्यू]। भाजपा ने 2013-14 के आम बजट को जनता के साथ छल बताते हुए कहा है कि इसमें देश की ज्वलंत समस्याओं की अनदेखी की गई है। वित्तमंत्री ने आंकड़ों की बाजीगरी से बजट प्रणाली की विश्वसनीयता ही खत्म कर दी है। राज्यसभा में बजट पर चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता वेंकैया नायडू ने बजट में आंक
नई दिल्ली [जाब्यू]। भाजपा ने 2013-14 के आम बजट को जनता के साथ छल बताते हुए कहा है कि इसमें देश की ज्वलंत समस्याओं की अनदेखी की गई है। वित्तमंत्री ने आंकड़ों की बाजीगरी से बजट प्रणाली की विश्वसनीयता ही खत्म कर दी है।
राज्यसभा में बजट पर चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता वेंकैया नायडू ने बजट में आंकड़ों की बाजीगरी के लिए वित्तमंत्री पी चिदंबरम की आलोचना की। उन्होंने कहा कि वैसे तो बजट में पिछले साल के मुकाबले आवंटन में 6.58 फीसद की वृद्धि दिखाई गई है। लेकिन यदि मुद्रास्फीति को ध्यान में रखें तो यह वृद्धि नहीं बल्कि कमी है। वित्तमंत्री को चाहिए था कि अपने बजट अनुमानों की तुलना पिछले साल के बजट अनुमानों से करते। उन्होंने पुनरीक्षित अनुमानों से तुलना की है। यह जनता के साथ छल है। इससे बजट प्रणाली की विश्वसनीयता खत्म हो गई है।
नायडू ने कहा कि 2004 में राजग सरकार के कार्यकाल में रही 8.4 फीसद विकास दर पिछले 14 सालों की सबसे ऊंची विकास दर थी। संप्रग सरकार ने इसे फिर से 5 फीसद पर ला दिया है। बजट में हर जगह घाटा है और अर्थव्यवस्था की तस्वीर धुंधली दिखाई देती है। गरीबों के नाम पर अमीरों के लिए काम करो। गरीबों से लेकर अमीरों को दो। बजट का यही उद्देश्य है। बजट में कोई बड़ा या साहसिक विचार नहीं है। यह देश की प्रमुख चुनौतियों का समाधान पेश करने में विफल साबित हुआ है। भयंकर भ्रष्टाचार, काले धन, महंगाई, खेती का संकट, बढ़ती बेरोजगारी आदि पर यह मौन है। यह कहना कि अंतरराष्ट्रीय मंदी के कारण विकास दर घटी है, ठीक नहीं है। क्योंकि इन हालात में भी कई देशों की विकास दर 2012 में भारत से बेहतर रही है। उन्होंने मार्गन स्टेनली और एचएसबीसी द्वारा भारत की दर 2013-14 में 6.2 के बजाय 6 फीसद रहने के अनुमान का भी जिक्र किया और कहा कि जो भी बेहतर दर संप्रग सरकार के समय हासिल हुई, उसका श्रेय पूर्ववर्ती अटल बिहारी सरकार को जाता है। मौजूदा वित्तमंत्री ने बजट में पिछले वित्तमंत्री की आलोचना की है। इससे पता चलता है कि इस सरकार में सब कुछ ठीक नहीं है। चर्चा की शुरुआत के वक्त सदन में वित्तमंत्री चिदंबरम की नामौजूदगी पर नायडू ने गहरी नाराजगी जताई। लेकिन जैसे ही उन्होंने बजट पर बोलना शुरू किया प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने सदन में प्रवेश किया। इस पर नायडू ने प्रसन्नता के साथ और संतोष व्यक्त किया।
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