Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आखिर किसने दिया सुनंदा को जहर

    By Rajesh NiranjanEdited By:
    Updated: Mon, 13 Oct 2014 09:53 AM (IST)

    पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत जहर से ही हुई है। मेडिकल बोर्ड ने यह तो साफ कर दिया, लेकिन जहर सुनंदा ने खुद खाया या किसी ...और पढ़ें

    Hero Image

    नई दिल्ली, [राकेश कुमार सिंह]। पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत जहर से ही हुई है। मेडिकल बोर्ड ने यह तो साफ कर दिया, लेकिन जहर सुनंदा ने खुद खाया या किसी ने उन्हें जबरदस्ती खिलाया? इसके अलावा जहर में किस रसायन का इस्तेमाल किया गया? इन सवालों के जवाब ढूंढ़ना दिल्ली पुलिस व फोरेंसिक एक्सपर्ट के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। असल में जिस जहरीले रसायन से सुनंदा की मौत हुई, बोर्ड को संदेह है कि उसका पता लगाना बेहद मुश्किल है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मेडिकल बोर्ड का कहना है कि दिल्ली पुलिस की ओर से कुछ और रिपोर्ट मिलने के बाद ही जहर की पहचान करने की कोशिश की जाएगी। बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कई जहरीले रसायनों के बारे में पता नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि देश में इनकी जांच की सुविधा नहीं है। 12 पन्नों की रिपोर्ट में सुनंदा के शव का पोस्टमार्टम करने वाले एम्स के फोरेंसिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुधीर गुप्ता, एडिशनल प्रोफेसर डॉ. आदर्श कुमार और सीनियर रेजिडेंट डॉ. शशांक पूनिया के बोर्ड ने कहा है कि कई ऐसे जहरीले रसायन हैं जिसका फोरेंसिक विशेषज्ञ विसरा जांच से पता नहीं लगा सकते हैं।

    कई रसायन पेट में जाने के बाद जहर का काम करते हैं। ऐसी स्थिति में इनके वास्तविक केमिकल के बारे में पता नहीं लगाया जा सकता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या चिकित्सा विज्ञान के बारे में अच्छी समझ रखने वाले व्यक्ति ने सुनंदा को जहर दिया?

    सब्जियों के पौधों पर जिन कीटनाशकों का छिड़काव किया जाता है, कई बार इन्हें भी अधिक मात्रा में लेने से मौत हो सकती है, लेकिन विसरा जांच में इसका पता नहीं चल सकता है। इसके अलावा कुछ जहरीले पदार्थ जैसे अल्कोल्वाइड्स व ग्लूकोसाइड्स हैं। कुछ रसायन जैसे इंसुलिन, पोटाशियम क्लोराइड, एड्रेनेलिन से भी मौत हो सकती है, लेकिन विसरा जांच में इनकी भी पहचान नहीं की जा सकती है। मेडिकल नैतिकता व जनहित को ध्यान में रखते हुए इन तथ्यों को गोपनीय रखा जाना चाहिए। अन्यथा इससे संबंधित जानकारी समाज के लिए घातक साबित हो सकती है।

    अगले ही दिन जांच से डीसीपी को किया था बाहर

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। सुनंदा पुष्कर की मौत मामले में पुलिसिया कारनामे की परत दर परत पोल खुलनी शुरू हो गई है। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो सुनंदा मामले में संयुक्त आयुक्त विवेक गोगिया ने दक्षिण जिला के तत्कालीन डीसीपी बीएस जायसवाल व एडिशनल डीसीपी प्रमोद कुशवाहा को घटना के दूसरे दिन 18 जनवरी को ही जांच से बाहर कर दिया था। उन्हें मौखिक तौर पर मना भी कर दिया था कि वे मामले से जुड़े तथ्यों का कहीं भी जिक्र न करें।

    17 जनवरी की शाम जिस वक्त पुलिस को होटल लीला में सुनंदा पुष्कर का शव मिलने की सूचना मिली, पूरे जिले की पुलिस को मौके पर बुला लिया गया। कई इंस्पेक्टरों को होटल के बाहर भीड़ को नियंत्रित करने में लगा दिया गया था। इंस्पेक्टरों को गोगिया ने सख्त चेतावनी दी रखी थी कि मीडिया का एक भी शख्स होटल परिसर तक भी नहीं आ सके। आखिर ऐसा क्यों किया गया? होटल के कमरे में जांच के लिए गोगिया के साथ बीएस जायसवाल, प्रमोद कुशवाहा समेत क्राइम ब्रांच की टीम पहुंच गई थी। कमरे में दो एल्प्रैक्स के खाली पत्ते को देखकर जब उस संदर्भ में बातचीत की जानी लगी तब गोगिया ने सभी अधिकारियों को कमरे से बाहर चले जाने को कहा था। कमरे में उन्होंने अपने साथ जांच के लिए केवल तत्कालीन एसीपी सुरेंद्र शर्मा को रखा था। दोनों घंटों जांच करते रहे थे। सुरेंद्र शर्मा को सख्त हिदायत दी गई थी कि वह किसी से इस संदर्भ में बात न करें।

    मामले में कहने को कागजी तौर पर जांच अधिकारी सरोजनी नगर थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर अतुल सूद को बनाया गया था किंतु जांच का सारा जिम्मा विवेक गोगिया के पास ही रहा। डीसीपी व अन्य अधिकारियों से वे सहयोग लेते रहे। कई दिन तक होटल के कमरे को सील रखा गया था। सूत्रों के मुताबिक कमरे के अंदर का क्राइम सीन से अधिकारियों को लग गया था कि मामला हत्या का हो सकता है। कमरे में कोई फोर्स एंट्री नहीं थी। दो अटेनडेंट बगल के दूसरे कमरे में बैठे थे।

    इस तरह के हाई प्रोफाइल केस में दिल्ली पुलिस का इतिहास रहा है कि वह प्रथम दृष्टया हत्या का मुकदमा दर्ज कर लेती है। उसके बाद जांच शुरू करती है। जांच में जो तथ्य सामने आते हैं उसी अनुसार पुलिस कार्रवाई करती है। किंतु सुनंदा मामले में पुलिस ने ऐसा क्यों नहीं किया। इस संदर्भ में कोई बोलने को तैयार नहीं है। अब तक इस संदर्भ में कोई केस दर्ज नहीं किया गया है।

    पढ़े: सुनंदा की कोई संपत्ति हासिल नहीं की: थरूर

    जहर से हुई थी सुनंदा पुष्कर की मौत