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    SC में सरकार का हलफनामा, कालेधन का खात्मा करने के लिए उठाया ये कड़ा कदम

    By Manish NegiEdited By:
    Updated: Fri, 25 Nov 2016 01:34 AM (IST)

    सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर दाखिल किये गये हलफनामे में सरकार ने न सिर्फ नोट बंदी के फायदे गिनाये हैं बल्कि इस फैसले से आम जनता को हो रही दिक्कतों के निवारण के लिए उठाए गये कदमों का भी ब्योरा दिया है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंन्द्र सरकार ने 1000 और 500 के नोट बंद किये जाने के फैसले को जायज ठहराते हुए सुप्रीमकोर्ट में कहा है कि आजादी के बाद पहली बार कालेधन के खात्मे के लिए केंद्र सरकार की ओर से गंभीर कदम उठाया गया है।

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    केंद्र सरकार ने ये बात गुरुवार को सुप्रीमकोर्ट में दाखिल हलफनामे में कही है। सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर दाखिल किये गये हलफनामे में सरकार ने न सिर्फ नोट बंदी के फायदे गिनाये हैं बल्कि इस फैसले से आम जनता को हो रही दिक्कतों के निवारण के लिए उठाए गये कदमों का भी ब्योरा दिया है। सुप्रीमकोर्ट इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई करेगा। सरकार ने कहा है कि इससे पहले दो बार 1946 और 1978 में ऐसे प्रयास हुए थे लेकिन उनका ज्यादा प्रभाव नहीं हुआ क्योंकि अर्थव्यवस्था में उन रुपयों का चलन कम था। इस फैसले के लाभ गिनाते हुए कहा है कि इसका रियल स्टेट पर बढ़ा प्रभाव पड़ेगा। लोगों को सस्ते दामों पर आवास उपलब्ध होगा।

    अर्थव्यवस्था मजबूत होने से लोगों को रोजगार के अवसर ज्यादा मिलेंगे। कहा है कि आरबीआई की धारा 26 के तहत केंद्र सरकार को नोट बंदी करने का अधिकार है। बैंकिंग एक्ट की धारा 35ए आरबीआई को जरूरी निर्देश जारी करने का हक देती है। सरकार स्थिति पर लगातार निगाह बनाए हुए है। ये सरकार का आर्थिक नीति से जुड़ा मसला है। कोर्ट इसमें तभी दखल दे सकता है जबकि फैसला मनमाना या अतार्किक हो। सरकार का फैसला तर्कसंगत और कानून की परिधि में है। इसलिए कोर्ट को इसमें दखल नहीं देना चाहिये। सरकार ने लोगों को सुविधा पूर्ण तरीके से नगदी देने के पर्याप्त इंतजाम किये हैं। पैसे की निकासी और पुराने नोटों के चलन व बदलने के लिए अब तक किये गये उपायों का ब्योरा दिया गया है।

    सरकार ने कालेधन को खतम करने के लिए किये गये प्रयासों का ब्योरा देते हुए कहा है कि सत्ता में आते ही कालेधन की जांच के लिए एसआइटी गठित की। अघोषित विदेशी संपत्ति की घोषणा के लिए ब्लैकमनी (अघोषित विदेशी आय व संपत्ति) एंड इंपोजीशन आफ टैक्स एक्ट 2015 लाई। दोहरे कराधान संधि में संशोधन किया। एचएसबीसी बैंक के खातेधारों के बारे में जानकारी पाने के लिए भारत सरकार और स्वीजरलैंड के बीच सहमति बनी है। टैक्स संबंधी जानकारी के स्वत: साझा किये जाने के बारे में मल्टीलेटरेल कम्पेटेन्ट अथारिटी एग्रीमेंट हुआ है। सरकार ने कहा है कि डिजिटल ट्रांसेक्शन को बढ़ावा देने और अर्थव्यवस्था में नगदी का लेनदेन कम करने के लिए 2015-16 के बजट में घोषणा हुई थी।

    कैबिनेट ने कार्ड के जरिये पेमेंट करने और भुगतान के डिजिटल तरीके प्रयोग करने के लिए 19 शार्ट टर्म और 4 मीडियम टर्म उपायों को मंजूरी दी है। भारतीय मुद्रा की नकली करेंसी से निपटने के लिए इसी साल अगस्त में बेनामी ट्रांसेक्शन (रोक) अधिनियम संशोधित हुआ। भारतीय अर्थव्यवस्था में नगदी के आंकड़े देते हुए कहा है कि सरकार ने ये नीतिगत फैसला पारदर्शी और कालाधन रहित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए लिया है। डिजिटल इंडिया अभियान के तहत विभिन्न सब्सिडी के सीधे खाते में जाने की व्यवस्था लागू की गई। सरकार ने कहा है कि पड़ोसी देश में नकली भारतीय मुद्रा बन रही है। देश की अर्थव्यवस्था को बचाने और आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए इसे रोकना जरूरी था।

    2008 से अब तक नकली करेंसी की जब्ती में बड़ा इजाफा हुआ है। ऐसी रिपोर्ट है कि करीब 400 करोड़ रुपये की नकली मुद्रा है जिसका आतंकवादी गतिविधियों में इस्तेमाल होता है। सरकार का कहना है कि नकली मुद्रा पर रोक लगाने, काला धन खतम करने और आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए ये कदम जरूरी था। नोट बंदी में गोपनीयता जरूरी थी। अगर पहले से इसकी सूचना हो जाती तो उद्देश्य निष्फल हो जाता। 2000 के नोटों की छपाई पर जोर दिया जा रहा है ताकि किल्लत से निपटा जा सके। सरकार ने जनता की परेशानियां दूर करने के लिए समय पर पुराने नोटों के उपयोग की छूट बढ़ाया जाना। आपात सेवाओं में पुराने नोट के इस्तेमाल की इजाजत तथा किसानों को बीज और पैसे निकलने में दी गई छूट का ब्योरा दिया है।

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