दुर्गा पर बढ़ी तकरार, यूपी सरकार ने थमाई चार्जशीट
आइएएस अफसर दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन पर तकरार और बढ़ गई है। दो चिट्ठियों का जवाब न मिलने के बाद केंद्र ने सख्त रुख अपनाते हुए रविवार को तीसरा पत्र भेज उत्तर प्रदेश सरकार से इस मामले में तत्काल रिपोर्ट मांगी थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी एक कदम आगे बढ़ते हुए न केवल केंद्र को एक साथ तीनों पत्रों का जवाब भेजा, बल्कि आइएएस अधिकारी को आरोपपत्र थमाते हुए जवाब देने के लिए 15 दिन की मोहलत दी है।
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। आइएएस अफसर दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन पर तकरार और बढ़ गई है। दो चिट्ठियों का जवाब न मिलने के बाद केंद्र ने सख्त रुख अपनाते हुए रविवार को तीसरा पत्र भेज उत्तर प्रदेश सरकार से इस मामले में तत्काल रिपोर्ट मांगी थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी एक कदम आगे बढ़ते हुए न केवल केंद्र को एक साथ तीनों पत्रों का जवाब भेजा, बल्कि आइएएस अधिकारी को आरोपपत्र भी थमा दिया। साथ ही, दुर्गा नागपाल की ओर से केंद्र के समक्ष की गई अपील या मेमोरियल तत्काल राज्य सरकार को उपलब्ध कराने को कहा है। राज्य सरकार ने निलंबन को भी सही ठहराया है। सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में भी दुर्गा शक्ति का मामला गूंजने के पूरे आसार हैं।
कार्मिक व प्रशिक्षण राज्यमंत्री वी. नारायणसामी ने बताया कि रविवार को यूपी सरकार को तीसरी चिट्ठी भेजकर तत्काल जवाब मांगा गया था। शनिवार को कांग्रेस सुप्रीमो व राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी के बाद कार्मिक मंत्रालय ने यह कदम उठाया था। इसके बाद रविवार शाम यूपी के प्रमुख सचिव (नियुक्ति) राजीव कुमार ने केंद्र के कार्मिक सचिव डॉ. एसके सरकार को जवाब भेजा। इसमें केंद्र की ओर से रविवार को भेजे पत्र के साथ ही पूर्व में भेजी दोनों चिट्ठियों का भी संदर्भ लिया गया। जवाब में कहा गया है, 'प्रावधान के मुताबिक अगर अखिल भारतीय सेवा का कोई अधिकारी राज्य सरकार के निलंबन के खिलाफ अपील या मेमोरियल पेश करता है, तो राज्य सरकार अपनी टिप्पणी के साथ इसे एक सप्ताह में केंद्र को उपलब्ध कराएगी, लेकिन संबंधित मामले में दुर्गा नागपाल ने कोई मेमोरियल या अपील राज्य सरकार को नहीं दी है। अगर निलंबित अधिकारी ने केंद्र को कोई अपील या मेमोरियल दिया है, तो उसे तत्काल राज्य सरकार को उपलब्ध कराया जाए, ताकि राज्य सरकार निर्धारित अवधि में अपनी टिप्पणी के साथ इसे केंद्र को भेज सके।
राज्य सरकार ने जवाब में बताया कि गौतमबुद्धनगर के ग्राम कदलापुर में निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार को लेकर तनाव की कोई रिपोर्ट नहीं थी। मस्जिद का कोई भाग या दीवार ग्राम समाज की जमीन पर बनाने की भी कोई शिकायत नहीं थी। इसके बावजूद 27 जुलाई को दुर्गा नागपाल गांव गई और बिना किसी जरूरत के निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार को ध्वस्त करा दिया। रमजान के महीने में उनके इस कृत्य से क्षेत्र में सांप्रदायिक माहौल प्रभावित हुआ। नागपाल की यह कार्रवाई अदूरदर्शिता और प्रशासनिक सूझबूझ का अभाव दर्शाती है। निलंबन के बाद दुर्गा राजस्व परिषद से संबद्ध हैं। इसलिए नियुक्ति विभाग ने आरोपपत्र परिषद को भेजा है। प्रक्रिया के अनुसार आरोपपत्र का जवाब मिलने के बाद एक जांच समिति गठित की जाएगी, जो जवाब का परीक्षण कर अपनी संस्तुति देगी।
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दुर्गा के समर्थन में उतरे विनोद राय
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के भ्रष्टाचार के खुलासों को लेकर सरकार की नाक में दम करने वाले देश के पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) विनोद राय भी अब निलंबित आइएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के समर्थन में उतर गए हैं।
पूर्व आइएएस अधिकारी राय ने नागपाल के निलंबन पर कहा कि किसी अधिकारी का निलंबन एक गंभीर मुद्दा है। नागपाल के वरिष्ठ अधिकारियों को उसके साथ खड़ा होना चाहिए था। मुख्य सचिव और संबंधित विभागीय सचिव को किसी तरह के दबाव में घुटने टेकना नहीं चाहिए था। दुर्गा को स्वाभाविक न्याय नहीं मिला। उन्हें निलंबित किए जाने से पहले अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला। खासकर तब जब उन्हें गंभीर आरोपों के तहत यूपी सरकार ने निलंबित किया है।
उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के आलोचकों का कहना है कि दुर्गा के निलंबन का कारण मस्जिद की दीवार नहीं बल्कि यमुना नदी के किनारे अवैध खनन के खिलाफ कड़े रुख के कारण निलंबित किया गया।
किसने, क्या कहा
'अगर दुर्गा शक्ति नागपाल को गलत तरीके से निलंबित किया गया है, तो केंद्र उचित कार्रवाई करेगा।'
-वी. नारायणसामी, कार्मिक राज्यमंत्री
'राज्य सरकार निलंबन के खिलाफ अधिकारी की अपील को अपनी टिप्पणी के साथ केंद्र को भेजती है, लेकिन संबंधित मामले में ऐसा कुछ नहीं हुआ। अगर दुर्गा शक्ति नागपाल ने केंद्र से अपील की है, तो तत्काल हमें उपलब्ध कराई जाए।'
-यूपी सरकार
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