AIADMK में सियासी संकट पर तमिलनाडु में हलचल तेज, केंद्र की भी है निगाह
एआइएडीएमके में सियासी संग्राम पर केंद्र सरकार की भी नजरें टिकी हुई हैं।
नई दिल्ली(जेएनएन)। एआइएडीएमके में सत्ता संघर्ष के लिए लड़ाई तेज हो गई है। ओ पन्नीरसेलवम के बगावती तेवर के बाद पार्टी महासचिव शशिकला नटराजन ने कहा कि जो गल्तियां उन्होंने की हैं, उन्हें सुधारना है। किसी भी शख्स को अम्मा(जयललिता) के आदर्शों से भटकने की छूट नहीं दी जा सकती है। इसके बाद शशिकला ने 125 विधायकों की परेड कराकर ये साफ कर दिया था कि सत्ता की कुंजी उनके पास है। लेकिन तमिलनाडु के राजनीतिक घटनाक्रम पर दिल्ली की पूरी नजर है।
जानकारों का कहना है कि भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को सीधे तौर पर तमिलनाडु की राजनीति में दिलचस्पी नहीं है। लेकिन केंद्र सरकार के रणनीतिकार मानते हैं कि एआइएडीएमके के साथ मित्रवत संबंध होना चाहिए ताकि राष्ट्रपति चुनाव और राज्यसभा में सरकार को किसी तरह की दिक्कत न आए। बताया जा रहा है कि तमिलनाडु के राजनीतिक घटनाक्रम पर राज्यपाल सी विद्यासागर राव जल्द ही अलग अलग दावेदारों से मुलाकात करेंगे। लेकिन इस बात की संभावना बेहद कम नजर आ रही है कि राज्यपाल डीए केस में अगले हफ्ते आने वाले फैसले से पहले कोई फैसला करेंगे।
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तमिलनाडु में सियासी हलचल के बीच दिल्ली में राजनीतिक स्क्रिप्ट लिखी जा रही है। बताया जा रहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट से शशिकला नटराजन के विरोध में फैसला आता है तो तमिलनाडु की कमान शशिकला कैंप के थंबीदोरई संभाल सकते हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार को इस समीकरण पर भी नजर है कि क्या पांडियन और पन्नीरसेलवम धड़ा जयललिता की भतीजी के समर्थन के साथ विधायकों का समर्थन हासिल कर सकते हैं।
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