इशरत मुठभेड़ में मोदी-शाह से होगी पूछताछ
अहमदाबाद [जासं]। मुंबई की कॉलेज छात्रा इशरत जहां और उसके तीन साथियों के फर्जी मुठभेड़ मामले में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र और तत्कालीन गृह राज्यमंत् ...और पढ़ें

अहमदाबाद [जासं]। मुंबई की कॉलेज छात्रा इशरत जहां और उसके तीन साथियों के फर्जी मुठभेड़ मामले में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र और तत्कालीन गृह राज्यमंत्री अमित शाह संदेह के घेरे में हैं। सीबीआइ मुठभेड़ के आरोप में गिरफ्तार आइपीएस जीएल सिंघल के खिलाफ 90 दिन बाद भी आरोपपत्र दाखिल नहीं कर पाई है। अंदेशा है कि सीबीआइ सिंघल को सरकारी गवाह बनाकर मोदी और शाह तक पहुंचना चाहती है। जांच एजेंसी दोनों नेताओं को समन जारी कर पूछताछ की तैयारी कर रही है।
कोर्ट के निर्देश पर गठित विशेष जांच दल [एसआइटी] ने इशरत जहां और उसके तीन साथी जावेद शेख, अमजद अली व जिशान जौहर को मुठभेड़ में मार गिराने की जांच की थी। जांच रिपोर्ट में बताया गया कि गुजरात पुलिस ने इशरत व उसके साथियों को फर्जी मुठभेड़ में मारा था। इस मामले में भी पूर्व आइपीएस डीजी वणजारा की अहम भूमिका बताई गई है, जो करीब पांच साल से सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले में मुंबई जेल में बंद हैं। फरवरी 2013 को सीबीआइ ने इशरत मामले में आइपीएस जीएल सिंघल की धरपकड़ की थी। इससे पहले पुलिस उपाधीक्षक व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट तरुण बारोट, जेजी परमार, भरत पटेल को भी गिरफ्तार किया गया था। गौरतलब है कि सीबीआइ के संयुक्त निदेशक वीवी लक्ष्मी मार्च 2013 में गुजरात आए थे। साबरमती जेल में उन्होंने आइपीएस सिंघल से भी लंबी चर्चा की थी, जिसके चलते सिंघल व सीबीआइ के बीच कुछ आपसी समझौते की भी आशंका जताई जा रही है।
जीएल सिंघल ने शुक्रवार को सीबीआइ की विशेष अदालत के समक्ष जमानत याचिका दाखिल की है, जिस पर सोमवार को फैसला होना है। सिंघल ने दलील दी है कि 90 दिन बाद भी सीबीआइ उनके खिलाफ आरोपपत्र पेश नहीं कर पाई है। चर्चा है कि सीबीआइ सिंघल को सरकारी गवाह बनाकर इशरत मुठभेड़ मामले से राजनीतिक तार जोड़ने का प्रयास कर रही है। सिंघल व उनके साथियों के जमानत पर बाहर आने के बाद फिर उनकी गिरफ्तारी की आंशका कम होगी।
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