लोकपाल के साथ काम करने की तैयारी में जुटी सीबीआइ
लोकसभा चुनाव के बाद नई सरकार बनते ही लोकपाल के गठन को सुनिश्चित देखते हुए सीबीआइ अपनी तैयारी में जुट गई है। इसके लिए सीबीआइ में एक नई इकाई को अंतिम रू ...और पढ़ें

नई दिल्ली [नीलू रंजन]। लोकसभा चुनाव के बाद नई सरकार बनते ही लोकपाल के गठन को सुनिश्चित देखते हुए सीबीआइ अपनी तैयारी में जुट गई है। इसके लिए सीबीआइ में एक नई इकाई को अंतिम रूप दिया जा रहा है, जो लोकपाल से जांच के लिए दिए गए मामलों पर नजर रखेगी। लोकपाल से जुड़े मामलों को देखने के लिए सीबीआइ कार्मिक मंत्रालय से अतिरिक्त पद सृजित करने की मांग करने जा रही है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए लोकपाल से बेहतर तालमेल बनाने के लिए गठित हो रही इस विशेष इकाई की कमान डीआइजी स्तर के अधिकारी के पास होगी। यह इकाई लोकपाल से जांच के लिए भेजे गए मामलों की निगरानी भी रखेगी। लोकपाल कानून के तहत सीबीआइ को लोकपाल से भेजे गए भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करनी होगी।
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि निश्चित रूप से लोकपाल के गठन के बाद सीबीआइ का काम बढ़ जाएगा। अभी तक सीबीआइ हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के आदेश या फिर राज्य सरकारों के अनुरोध पर भ्रष्टाचार व अपराध के दूसरे मामले की जांच करती थी। इसके अलावा बहुत सारे मामले सीवीसी की ओर से सीबीआइ को जांच के लिए भेजे जाते थे। भ्रष्टाचार के कुछ मामले सीबीआइ खुद भी दर्ज करती थी, लेकिन लोकपाल के आने से भ्रष्टाचार के नए मामले सीबीआइ के पास पहुंचेंगे। लोकपाल खुद भी इन मामलों की जांच की प्रगति की निगरानी करेगा। ऐसे में लोकपाल के साथ रोजमर्रा के तालमेल के लिए विशेष इकाई बेहद जरूरी है। इसके साथ ही लोकपाल से आए मामलों की जांच में बहुत सारे अधिकारी एवं कर्मचारियों को लगाना पड़ेगा। ऐसे में दूसरे मामलों की जांच पर असर की आशंका है। इससे निपटने के लिए सीबीआइ ने कार्मिक मंत्रालय ने कर्मचारियों और अधिकारियों के नए पद सृजित करने की मांग करेगी।
गठन से पहले ही खत्म हो जाएगी लोकपाल की साख
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। भाजपा ने लोकपाल की नियुक्ति के लिए सरकार की ओर से की जा रही कोशिशों को तत्काल रोकने की मांग की है। पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि जल्दबाजी के कारण गठन से पहले ही लोकपाल की साख खत्म हो जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 27 और 28 अप्रैल को लोकपाल चयन समिति की बैठक बुलाने की योजना बना रहे हैं। जेटली ने अपने ब्लॉग में लिखा है, चुनाव नतीजे आने और नई सरकार बनने में महज 26 दिन का समय शेष है। संप्रग सरकार का जाना लगभग तय है, ऐसे में क्या यह उचित है कि वह लोकपाल की नियुक्ति की दिशा में कदम बढ़ाए। निश्चित तौर पर यह सही नहीं है। इस समय संप्रग सरकार अगर लोकपाल की नियुक्ति की कोशिश करती है तो यह राजनीतिक रूप से अनुचित व आचार संहिता का उल्लंघन होगा। इस तरह की नापाक जल्दबाजी स्थापना से पहले ही लोकपाल की साख को खत्म कर देगी। इस प्रक्रिया को तत्काल रोका जाना चाहिए।
जेटली के मुताबिक प्रधानमंत्री के पास बची मामूली साख को गंवाने के अलावा खोने के लिए कुछ नहीं है। उन्हें अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। सिंह को ऐसे पीएम के तौर पर याद किया जाएगा जिनके शासनकाल में संस्थाओं का संचालन उनकी पार्टी के इशारे पर हुआ।

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