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    सीबीआइ ने शुरू की कृभको-यारा घूस कांड की जांच

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    Updated: Tue, 04 Feb 2014 08:12 PM (IST)

    कृषक भारती को-ऑपरेटिव लिमिटेड (कृभको) के साथ मिलकर भारत में संयुक्त उद्यम स्थापित करने वाले समझौते को हासिल करने के लिए नॉर्वे की उर्वरक कंपनी यारा द्वारा कृभको के तत्कालीन अधिकारी के बेटे को कथित तौर पर करीब पांच करोड़ रुपये घूस देने के मामले में सीबीआइ ने प्राथमिक जांच शुरू कर दी है।

    नई दिल्ली। कृषक भारती को-ऑपरेटिव लिमिटेड (कृभको) के साथ मिलकर भारत में संयुक्त उद्यम स्थापित करने वाले समझौते को हासिल करने के लिए नॉर्वे की उर्वरक कंपनी यारा द्वारा कृभको के तत्कालीन अधिकारी के बेटे को कथित तौर पर करीब पांच करोड़ रुपये घूस देने के मामले में सीबीआइ ने प्राथमिक जांच शुरू कर दी है। कृभको इन आरोपों को खारिज करता रहा है। सीबीआइ की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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    सूत्रों के मुताबिक, यारा कंपनी व नॉर्वे की अभियोजन एजेंसी ओकोक्रिम (नेशनल अथॉरिटी फॉर इन्वेस्टिगेशन एंड प्रॉसीक्यूशन ऑफ इकोनोमिक एंड एनवायरमेंटल क्राइम) द्वारा तत्कालीन कृभको अधिकारी और उनके बेटे को संदिग्ध बताने के बाद सीबीआइ ने मामले की जांच शुरू की है। विदेशी बैंक खाते में एक मिलियन डॉलर (उस समय के हिसाब से करीब पांच करोड़ रुपये) स्थानांतरित करने को लेकर जांच एजेंसी जल्द ही बाप-बेटे को पूछताछ के लिए तलब कर सकती है।

    माना जा रहा है कि यह खाता इन्हीं दोनों का है। भारत में एक सलाहकार को घूस देने के मामले में यारा कंपनी पर 270 मिलियन नॉर्वेजियन क्रोन (2.7 अरब रुपये) का अर्थदंड लगाया गया, जिसे कंपनी ने स्वीकार भी कर लिया। यारा इंटरनेशनल आसा के बोर्ड अध्यक्ष बेरंट रीटान ने बयान जारी कर कहा, अर्थ दंड स्वीकार करना इस बात को दर्शाता है कि ओकोक्रिम और हमारी जांच के परिणाम समान रहे। यह जुर्माना भारी-भरकम है, लेकिन हम इसे स्वीकार करते हैं।

    वर्ष 2006-07 में यारा व कृभको भारत में संयुक्त उद्यम स्थापित करने को लेकर बातचीत कर रहे थे। घूस देने का मामला सामने आने के बाद यारा इंटरनेशनल ने अप्रैल, 2011 में मामले की जांच की जिम्मेदारी एक लॉ एजेंसी को सौंपी थी। जून, 2012 में जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया, जिसमें भारत में एक सलाहकार को वर्ष 2007 में अवांछनीय तौर पर एक मिलियन अमेरिकी डॉलर देने का मामला सामने आया। हालांकि, कृभको ने अपने किसी अधिकारी के इस घोटाले में शामिल होने से इन्कार किया था।

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