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    झारखंड विस चुनाव: चर्चा बंद अब खर्चा शुरू

    By Abhishake PandeyEdited By:
    Updated: Mon, 24 Nov 2014 10:45 AM (IST)

    झारखंड विधानसभा के लिए पहले चरण में जिन 13 सीटों पर चुनाव होने हैं, वहां रविवार शाम होते-होते चुनावी भोपूं पूरी तरह शांत हो गए। प्रचार की समय सीमा समाप्त होते ही पार्टियों और उम्मीदवारों ने थैलियां पूरी तरह खोल दी। अंतिम दिन की ‘भेंट’ के लिए पार्टियां प्रति वोटर

    रांची। झारखंड विधानसभा के लिए पहले चरण में जिन 13 सीटों पर चुनाव होने हैं, वहां रविवार शाम होते-होते चुनावी भोपूं पूरी तरह शांत हो गए। प्रचार की समय सीमा समाप्त होते ही पार्टियों और उम्मीदवारों ने थैलियां पूरी तरह खोल दी। अंतिम दिन की ‘भेंट’ के लिए पार्टियां प्रति वोटर सौ से हजार रुपये तक खर्च कर रही हैं।

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    एक स्थानीय उम्मीदवार के चुनाव प्रबंधक इस बारे में बताते हैं, यहां चुनाव पर्चा और चर्चा से नहीं, खर्चा से जीता जाता है। बिना खर्चा एक भी वोट नहीं मिलता। यह हाल किसी एक पार्टी का नहीं, बल्कि मैदान में उतरी सभी पार्टियों का है। शाम होते-होते शहर के एक छोटे से होटल में भीड़ जुटने लगी है। बारी-बारी से लोगों को बुलाया जाएगा और एक पर्ची दी जाएगी। पर्ची के मुताबिक पैसे कहीं और से मिलेंगे।

    बताया जा रहा है कि यह सिलसिला रात दो-तीन बजे तक चलेगा। ऐसी ‘प्रबंधन बैठकों’ के बारे में शहर भर को पता है, मगर चुनाव आयोग को इनकी भनक नहीं लग पाती। मसलन, एक बड़ी पार्टी ने प्रति वोटर सौ रुपये तय किए है। बूथ कार्यकर्ताओं को एक-एक हजार दिए जाएंगे। कुछ विधानसभाओं में शहरी इलाकों में यह रेट प्रति वोटर हजार तक है। अतिरिक्त रकम पूरी तरह से उम्मीदवार के अपने ऊपर है। ऐसा नहीं कि सभी वोटर तक यह पहुंच ही जाए। ग्रामीण आदिवासी इलाकों में अधिकांश मामलों में गांव और बस्तियों के ठेकेदार तक ही यह रकम पहुंचती है। उसी उम्मीदवार की व्यवस्था सबसे कारगर मानी जाती है, जो यहां तक पहुंच पाए।

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