उपचुनाव में योगी पर दांव की असल परीक्षा आज
उपचुनाव में भाजपा के फायर ब्रांड सांसद योगी आदित्यनाथ को प्रदेश स्तर पर स्टार प्रचारक की भूमिका देने के बाद अब शीर्ष नेतृत्व की नजरें इस रणनीति के अंजाम पर ठहर गई हैं। शनिवार को मतदाताओं का फैसला ईवीएम में बंद हो जाएगा। मंगलवार को वोटों की गिनती के बाद तय होगा कि भाजपा का दांव कारगर रहा या बेअसर।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उपचुनाव में भाजपा के फायर ब्रांड सांसद योगी आदित्यनाथ को प्रदेश स्तर पर स्टार प्रचारक की भूमिका देने के बाद अब शीर्ष नेतृत्व की नजरें इस रणनीति के अंजाम पर ठहर गई हैं। शनिवार को मतदाताओं का फैसला ईवीएम में बंद हो जाएगा। मंगलवार को वोटों की गिनती के बाद तय होगा कि भाजपा का दांव कारगर रहा या बेअसर।
लोकसभा चुनाव में मिली जबरदस्त सफलता के बाद अपने कब्जे की दस विधानसभा सीटों को बचाना भाजपा की चुनौती बना हुआ है। इससे दोचार भाजपा का चुनाव प्रचार अभियान लव जिहाद के विवाद से शुरू होकर स्टार प्रचारक फायर ब्रांड सांसद योगी आदित्यनाथ पर आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के ताबड़तोड़ मामलों के दर्ज होने पर समाप्त हुआ। इससे पूर्व तक योगी अपने संसदीय क्षेत्र गोरखपुर व उसके निकटवर्ती पांच-छह जिलों में ही प्रचार करते रहे हैं। वह भी उन प्रत्याशियों के क्षेत्रों में जो उनकी मंशा पर खरे बैठते हैं। पहली बार नेतृत्व ने उन्हें बड़े 'कैनवास' पर उतारा है।
पार्टी के नेता भी मानते हैं कि यह प्रयोग करते हुए जहां एक ओर खासा जोखिम उठाया है वहीं अपने विरोधियों को आलोचना करने का भी अवसर दिया है। निर्वाचन आयोग की टेढ़ी नजरों ने भी हालात को और असहज किया है। भाजपा के लिए चुनाव कितने महत्वपूर्ण हैं इसे केवल इस तथ्य की रोशनी में समझा जा सकता है कि इनमें रोहनिया विधानसभा सीट ऐसी है जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में आती है। भले ही गत विधानसभा चुनाव में यह सीट अपना दल ने जीती थी, लेकिन मोदी के प्रधानमंत्री बनने और अपना दल के भाजपा के बगलगीर होने के बाद यहां के परिणाम को भाजपा और खासकर मोदी की प्रतिष्ठा से जोड़कर ही देखा जाएगा।
कमोवेश, यही हालत लखनऊ पूर्व विधानसभा सीट की है जिसे केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र ने रिक्त किया है। यह केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। केंद्रीय मंत्री उमा भारती द्वारा रिक्त की गई महोबा जिले की चरखारी विधानसभा सीट भी प्रतिष्ठा से जुड़ी है। मैनपुरी लोकसभा सीट पर बीते लोकसभा चुनाव से ज्यादा कड़ी टक्कर देना भी भाजपा के लिए चुनौती है।
जाहिर है कि ऐसे में उपचुनाव में भाजपा के पास खोने के लिए बहुत कुछ है और पाने के लिए उसने योगी आदित्यनाथ के रूप में एक जोखिम भरा प्रयोग किया है जिसकी सफलता को लेकर पार्टी नेता भी मुतमइन नहीं है और नेताओं की धड़कनें बढ़ी हुई हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।