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कोर्ट नहीं पहुंचे सलमान, सैफ समेत बाकी 4 पर आरोप तय

जयपुर [जागरण संवाददाता]। चमकते फिल्मी सितारों के खुद के सितारे आजकल गर्दिश में हैं। संजय दत्त को अवैध हथियार मामले में सजा होने के बाद शनिवार को जोधपुर की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में 14 साल पहले काले हिरण का शिकार करने संबंधी प्रकरण की सुनवाई हुई। अदालत ने अभिनेता सैफ अली खान, अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे, तब्बू और नीलम के खिलाफ भारतीय वन्य जीव अधिनियम एवं आइपीसी की विभिन्न धाराओं में नये सिरे से आरोप तय किए। इसके तहत तीन से छह साल की सजा का प्रावधान है। हालांकि , इन सभी ने खुद पर लगे आरोपों से इनकार किया। अब कोर्ट में गवाहों को बुलाने की प्रक्रिया शुरू होगी।

By Edited By: Published: Sat, 23 Mar 2013 08:55 AM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2013 08:52 PM (IST)

जयपुर [जागरण संवाददाता]। चमकते फिल्मी सितारों के खुद के सितारे आजकल गर्दिश में हैं। संजय दत्त को अवैध हथियार मामले में सजा होने के बाद शनिवार को जोधपुर की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में 14 साल पहले काले हिरण का शिकार करने संबंधी प्रकरण की सुनवाई हुई। अदालत ने अभिनेता सैफ अली खान, अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे, तब्बू और नीलम के खिलाफ भारतीय वन्य जीव अधिनियम एवं आइपीसी की विभिन्न धाराओं में नये सिरे से आरोप तय किए। इसके तहत तीन से छह साल की सजा का प्रावधान है। हालांकि , इन सभी ने खुद पर लगे आरोपों से इनकार किया। अब कोर्ट में गवाहों को बुलाने की प्रक्रिया शुरू होगी।

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मामले में अन्य आरोपी अभिनेता सलमान खान इलाज के सिलसिले में अमेरिका में हैं, इसलिए वे अदालत में उपस्थित नहीं हुए। सभी सितारों को एक-एक कर अदालत में बुलाया गया और इन पर लगे आरोप पढ़ कर सुनाए गए। इन पर शिकार करने, शिकार में मदद करने और शिकार करने के लिए उकसाने के आरोप हैं। मामले की अगली सुनवाई अब 27 अप्रैल को होगी।

गौरतलब है कि फिल्म 'हम साथ-साथ हैं' की शूटिंग के दौरान एक व दो अक्टूबर, 1998 की रात बॉलीवुड सितारे सलमान खान, सैफ अली खान, सोनाली, तब्बू और नीलम द्वारा स्थानीय सहयोगी दुष्यंत सिंह के साथ कथित रूप से कांकणी की सरहद पर दो काले हिरणों का शिकार करने का आरोप हैं। भारतीय वन्य जीव अधिनियम के तहत यह संरक्षित जीव है, जिसे मारना दंडनीय अपराध है।

इस मामले में अदालत ने 20 फरवरी, 2006 को आरोप तय किए थे, जिसे आरोपियों ने सत्र अदालत में चुनौती दी थी, जबकि राज्य सरकार की ओर से कुछ और धाराएं जोड़ने के लिए हाई कोर्ट में निगरानी याचिका दायर की गई थी। इस पर हाई कोर्ट ने 24 जुलाई, 2012 को आरोपियों को पुन: संशोधित आरोप सुनाए जाने के आदेश दिए थे।

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