नाम बताए तो यूएस से कालाधन लाना हो जाएगा मुश्किल
करार उल्लंघन का हवाला देते हुए अमेरिका जैसे देश कालाधन लौटने से इनकार कर सकते हैं।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार आज विदेशों में कालाधन जमा करने वालों के नाम जाहिर करने जा रही है, लेकिन इससे कालाधन वापस लेने की मुहिम को झटका भी लग सकता है।
दरअसल, भारत सरकार ने अमेरिका और स्विट्जरलैंड की सरकारों से यह करार करते हुए काले कुबेरों की जानकारी हासिल की है कि उसे सार्वजनिक नहीं किया जाता है। हालांकि आज सरकार सीलबंद लिफाफे में खाताधारकों के नाम सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी, लेकिन आशंका जताई गई है कि विदेशी सरकारें इसे करार का उल्लंघन मानेंगी।
ऐसा होता है कि कालाधन भारत वापस लाना बहुत मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि ये देश अब भारत को न तो कोई जानकारी देंगे, ना ही वहां जमा कालाधन वापस भारत भेजेंगे। भारत ने अमेरिका के साथ फॉरेन अकाउंट टैक्स कॉम्पलायंस एक्ट पर हस्ताक्षर किए हैं। नामों का खुलासा इस करार का उल्लंघन होगा।
आज का दिन बहुत अहम
सुप्रीम कोर्ट में चल रही कालेधन की सुनवाई के लिहाज से आज का दिन काफी अहम है। अदालत ने सरकार से दो टूक कह दिया है कि वह बुधवार को काले धन के सभी खाताधारकों के नाम सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपे।
मंगलवार को सरकार की ओर से अदालत में पेश अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के अनुरोधों और दलीलों पर कोर्ट ने हर बार टका सा जवाब दिया। मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार से पूछा कि आप विदेशी बैंकों में खाताधारकों को संरक्षण क्यों प्रदान कर रहे हैं?
पीठ ने सरकार के रुख पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि वह सभी खाताधारकों के नाम एसआइटी को सौंपे और इसके बाद हम देखेंगे कि किसकी जांच करानी है और किसकी नहीं। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि अदालत बुधवार को सरकार द्वारा बताए गए सारे नाम सार्वजनिक करेगी या नहीं।
काले धन वाली सूची में आठ सौ लोगों के नाम होने का अनुमान है। गौरतलब है कि पहले सरकार ने कहा था कि वह 136 लोगों के नाम कोर्ट को सौंपेगी, लेकिन उसने सोमवार को सिर्फ आठ नाम ही बताए। इसके बाद विपक्षी पार्टियों ने सरकार की कड़ी आलोचना की थी।
सरकार का बदलता रहा रुख
पहले हलफनामे में सरकार ने कहा कि विदेशी बैंकों में खाताधारकों के नामों का उस समय तक खुलासा नहीं किया जा सकता जब तक उनके खिलाफ कर चोरी के सबूत न हों और भारत में उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू नहीं की गई हो। इसके बाद सरकार ने दूसरा हलफनामा दाखिल कर जुलाई 2011 के आदेश में बदलाव का अनुरोध किया।
संधि की बात बाद में देखेंगे
कोर्ट ने सरकार की उस दलील को भी खारिज कर दिया, जिसमें उसने कहा था कि काला धन रखने वाले सभी खाताधारकों के नाम बताने पर सहयोगी देशों के साथ उसकी संधि टूट सकती है। कोर्ट ने कहा कि सरकार पहले सभी नाम बताए। संधि की बात इसके बाद देखेंगे।
इस आधार पर दलील खारिज
नामों के खुलासे वाले पिछले आदेश में संशोधन के आग्र्रह पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दो टूक जवाब दे दिया। अदालत ने कहा कि नई सरकार आदेश में सुधार का अनुरोध नहीं कर सकती। वह आदेश खुली अदालत में दिया गया था और सरकार ने इसे स्वीकार किया था।
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