केंद्र सरकार आज बताएगी सारे काले कुबेरों के नाम
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह बुधवार को काले धन के सभी खाताधारकों के नाम सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपे।
नई दिल्ली। काले धन पर अपने पुराने फैसले में बदलाव से सुप्रीम कोर्ट ने साफ इन्कार कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार से दो टूक कह दिया कि वह बुधवार को काले धन के सभी खाताधारकों के नाम सीलबंद लिफाफे में अदालत को सौंपे। मंगलवार को सरकार की ओर से अदालत में पेश अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के अनुरोधों और दलीलों पर कोर्ट ने हर बार टका सा जवाब दिया। मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार से पूछा कि आप विदेशी बैंकों में खाताधारकों को संरक्षण क्यों प्रदान कर रहे हैं? पीठ ने सरकार के रुख पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि वह सभी खाताधारकों के नाम कोर्ट को सौंपे और इसके बाद हम देखेंगे कि किसकी जांच करानी है और किसकी नहीं। जांच सीबीआइ से कराई जाएगी या आयकर विभाग से इसका फैसला भी अदालत ही करेगी। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि अदालत बुधवार को सरकार द्वारा बताए गए सारे नाम सार्वजनिक करेगी या नहीं। गौरतलब है कि पहले सरकार ने कहा था कि वह 136 लोगों के नाम कोर्ट को सौंपेगी, लेकिन उसने सोमवार को सिर्फ आठ नाम ही बताए। इसके बाद विपक्षी पार्टियों ने सरकार की कड़ी आलोचना की थी।काले धन वाली सूची में आठ सौ लोगों के नाम होने का अनुमान है।
सरकार का बदलता रहा रुख :
पहले हलफनामे में सरकार ने कहा कि विदेशी बैंकों में खाताधारकों के नामों का उस समय तक खुलासा नहीं किया जा सकता जब तक उनके खिलाफ कर चोरी के सबूत न हों और भारत में उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू नहीं की गई हो। इसके बाद सरकार ने दूसरा हलफनामा दाखिल कर जुलाई 2011 के आदेश में बदलाव का अनुरोध किया।
संधि की बात बाद में देखेंगे :
कोर्ट ने सरकार की उस दलील को भी खारिज कर दिया, जिसमें उसने कहा था कि काला धन रखने वाले सभी खाताधारकों के नाम बताने पर सहयोगी देशों के साथ उसकी संधि टूट सकती है। कोर्ट ने कहा कि सरकार पहले सभी नाम बताए। संधि की बात इसके बाद देखेंगे।
इस आधार पर दलील खारिज:
नामों के खुलासे वाले पिछले आदेश में संशोधन के आग्र्रह पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दो टूक जवाब दे दिया। अदालत ने कहा कि नई सरकार आदेश में सुधार का अनुरोध नहीं कर सकती। वह आदेश खुली अदालत में दिया गया था और सरकार ने इसे स्वीकार किया था।
अप्रत्याशित नहीं यह फैसला:
विश्लेषकों की नजर में सुप्रीम कोर्ट के आज के आदेश में कुछ भी अप्रत्याशित नहीं है। काले धन की जांच के लिए इसी साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट की जिस पीठ ने एसआइटी गठित करने का आदेश दिया था, उसके एक सदस्य न्यायमूर्ति एचएल दत्तू भी थे। इस समय न्यायमूर्ति दत्तू सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश होने के साथ ही इस मामले की सुनवाई कर रही पीठ के भी अध्यक्ष हैं। उस समय न्यायमूर्ति दत्तू ने विदेश में जमा काला धन वापस लाने को देश हित में बताया था। ऐसे में यह सोचना बेकार है कि सात महीने में उनका मन बदल गया होगा।
''हम काला धन वापस लाने का मुद्दा सरकार के भरोसे नहीं छोड़ सकते। हमारे समय के दौरान ऐसा कभी नहीं होगा।
-सुप्रीम कोर्ट
आज पेश करेंगे सूची
किसी को बख्शा नहीं जाएगा। सरकार विदेशी बैंकों में कालाधन रखने वालों की पूरी सूची बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में मुहरबंद लिफाफे में पेश कर देगी। सरकार विशेषष जांच दल को 27 जून को ही यह सूची दे चुकी है। सरकार कालाधन रखने वालों को कानून के अनुसार दंडित करने के लिए कोई भी कार्रवाई करने को तैयार है। कोई भी एजेंसी जांच करे, सरकार को इसमें कोई ऐतराज नहीं है। सरकार सिर्फ यह चाहती है कि ऐसी प्रक्रिया अपनाई जाए कि संबंधित देश भारत के साथ सहयोग जारी रखें।
-अरुण जेटली, वित्तमंत्री
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