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हरियाणा: राजनाथ के दरबार में बढ़ी गठबंधन की दरार

हरियाणा में भाजपा और हजकां का करीब साढ़े तीन वर्ष पुराना गठजोड़ टूटने की शनिवार को नींव पड़ गई है। लोकसभा चुनाव के नतीजों से उत्साहित भाजपा के नेताओं ने हाईकमान के सामने हरियाणा में भी अपनी सरकार बनाने की इच्छा जाहिर की है। इसके लिए न केवल हजकां प्रमुख कुलदीप बिश्नोई के नेतृत्व में चुनाव लड़ने

By Edited By: Published: Sun, 15 Jun 2014 09:07 AM (IST)Updated: Sun, 15 Jun 2014 09:09 AM (IST)
हरियाणा: राजनाथ के दरबार में बढ़ी गठबंधन की दरार

चंडीगढ़ [राज्य क्यूरो]। हरियाणा में भाजपा और हजकां का करीब साढ़े तीन वर्ष पुराना गठजोड़ टूटने की शनिवार को नींव पड़ गई है। लोकसभा चुनाव के नतीजों से उत्साहित भाजपा के नेताओं ने हाईकमान के सामने हरियाणा में भी अपनी सरकार बनाने की इच्छा जाहिर की है। इसके लिए न केवल हजकां प्रमुख कुलदीप बिश्नोई के नेतृत्व में चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिया गया, बल्कि बड़ी ही राजनीतिक चतुराई से गठबंधन बरकरार रखने का दम भरते हुए हजकां के भाजपा में विलय का प्रस्ताव भी पेश कर दिया। भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश के नेताओं की राय जानने के बाद अभी अपना कोई फैसला तो नहीं सुनाया, लेकिन हजकां प्रमुख कुलदीप बिश्नोई से एक बार बात करने का विकल्प खुला रखा गया। इसके लिए प्रदेश प्रभारी अथवा अध्यक्ष की जिम्मेदारी तय कर सकती है। बातचीत में हजकां प्रमुख से गठबंधन की शर्तो में बदलाव को लेकर उनके विकल्प जाने जाएंगे। अगर बात नहीं बनी तो भाजपा की ओर से गठबंधन तोड़ना लगभग तय माना जा रहा है।

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भाजपा के प्रदेश प्रभारी प्रो. जगदीश मुखी, सह प्रभारी डॉ. अनिल जैन और प्रदेश अध्यक्ष प्रो. रामबिलास शर्मा के नेतृत्व में सभी सांसद, विधायक दल के नेता अनिल विज, राष्ट्रीय प्रवक्ता कैप्टन अभिमन्यु, सुधा यादव, ओमप्रकाश धनखड़, आत्मप्रकाश मनचंदा, प्रो. गणोशी लाल और संगठन मंत्री सुरेश भट्ट नई दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह से मिले। करीब ढाई घंटे तक चली बैठक के दौरान राष्ट्रीय संगठन महामंत्री राम लाल भी मौजूद रहे। अधिकतर सांसदों और पदाधिकारियों ने हजकां के साथ गठबंधन रखने की इच्छा तो जताई, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि माहौल के अनुकूल भाजपा अपनी सरकार और अपना मुख्यमंत्री बनाना चाहती है।

लोकसभा चुनाव में 72 में से 52 विधासभा क्षेत्रों में भाजपा जीती है। हजकां प्रमुख चूंकि अपने हिस्से की दोनों सीटें हार गए इसलिए उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ना पार्टी के लिए नुकसानदायक रहेगा। भाजपा नेताओं ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने यह भी प्रस्ताव रखा कि यदि गठबंधन बरकरार भी रहना है तो हजकां के हिस्से की सीटों में कमी होनी चाहिए और पहले भाजपा का मुख्यमंत्री होगा। सभी की सुनने के बाद राजनाथ सिंह ने कहा कि हजकां प्रमुख की राय ली जानी चाहिए। इसके लिए जल्द ही किसी केंद्रीय नेता अथवा प्रभारी या अध्यक्ष की बातचीत के लिए जिम्मेदारी तय कर दी जाएगी। इसके आधार पर संसदीय बोर्ड ही अंतिम फैसला लेगा।

इनेलो से तौबा

प्रदेश के भाजपा नेताओं ने राष्ट्रीय नेताओं के सामने स्पष्ट कर दिया है कि हजकां के साथ राजनैतिक रिश्ते रहें न रहें अथवा उनमें कोई बदलाव हो, लेकिन प्रदेश इकाई किसी सूरत में इनेलो के साथ गठबंधन नहीं करेगी।

कुलदीप के सामने मंत्री बनने का विकल्प भी

भाजपा की ओर से कुलदीप बिश्नोई को अपनी पार्टी का भाजपा में विलय करने की पेशकश की गई है। ऐसी स्थिति में उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में सम्मानजनक ओहदा दिया जा सकता है। इस तरह के हालात हालांकि कुलदीप के सामने तब भी थे, जब कांग्रेस से वह अलग होने वाले थे और हुड्डा सरकार को उनके विधायकों की जरूरत थी, तब कुलदीप को राज्य में उप मुख्यमंत्री और उनके पिता चौधरी भजन लाल को केंद्र में मंत्री या किसी राज्य का राज्यपाल बनाने की पेशकश हुई थी।

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