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    विदर्भ से कोंकण तक लहराया भाजपा का परचम

    By manoj yadavEdited By:
    Updated: Mon, 20 Oct 2014 02:08 PM (IST)

    अपने वोट प्रतिशत में दो गुनी एवं सीटों में लगभग तीन गुना वृद्धि करनेवाली भाजपा इस बार महाराष्ट्र के सभी क्षेद्दों में अपना परचम लहराने में सफल रही। चाहे वह शिवसेना का गढ़ कोंकण हो, चाहे कांग्रेस का गढ़ विदर्भ। मुंबई, ठाणे और कोंकण क्षेद्दको शिवसेना का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है। इस क्षेद्द में

    मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। अपने वोट प्रतिशत में दो गुनी एवं सीटों में लगभग तीन गुना वृद्धि करनेवाली भाजपा इस बार महाराष्ट्र के सभी क्षेत्रों में अपना परचम लहराने में सफल रही। चाहे वह शिवसेना का गढ़ कोंकण हो, चाहे कांग्रेस का गढ़ विदर्भ।

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    मुंबई, ठाणे और कोंकण क्षेत्र को शिवसेना का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है। इस क्षेद्द में विधानसभा की कुल 75 सीटें हैं। पहले भाजपा के पास इनमें से सिर्फ 10 सीटें थीं। अब उसने इस क्षेद्द की एक तिहाई, यानी 25 सीटों पर कब्जा कर लिया है। अपने इस गढ़ में शिवसेना को भाजपा से सिर्फ तीन सीटें ज्यादा मिली हैं। भाजपा को दूसरी बड़ी सफलता शरद पवार के सबसे मजबूत गढ़ पश्चिम महाराष्ट्र में मिली है। यहां भी भाजपा 10 से सीधे 25 सीटों पर पहुंच गई है। इस क्षेद्द में सबसे ज्यादा नुकसान छोटे दलों और निर्दलियों का हुआ है।

    पश्चिम महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस भी फायदे में ही रही हैं। शिवसेना को पहले से छह और कांग्रेस को एक सीट ज्यादा मिली हैं। राकांपा को तीन सीटों का नुकसान हुआ है।

    भाजपा को शतक ल“वाने में सबसे बड़ी भूमिका विदर्भ ने निभाई है। वहां की 62 में से 44 सीटें उसे प्राप्त हुई हैं। 2009 की तुलना में यहां भाजपा को 25 सीटें ज्यादा मिली हैं। जबकि शिवसेना चार, कांग्रेस को 15 एवं राकांपा को दो सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है। संयो“ से भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए चल रहे तीन नाम नितिन “डकरी, देवेंद्र फणनवीस एवं सुधीर मुनगंटीवार भी इसी क्षेत्र से हैं। उत्तर महाराष्ट्र एवं मराठवाड़ा में भी भाजपा को अनपेक्षित सफलता मिली है। मराठवाड़ा में “ोपीनाथ मुंडे जैसे कद्दावर नेता के रहते हुए भी भाजपा वहां की 46 में से सिर्फ तीन सीटें जीत पाई थी। इस बार उसे वहां भी 15 सीटें मिली हैं। यहां सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ा है। उत्तर महाराष्ट्र में भी भाजपा पिछले चुनाव की तुलना में आठ सीटों के फायदे में रही है। इस क्षेत्र में शिवसेना, कांग्रेस, राकांपा और मनसे तीनों को नुकसान उठाना पड़ा है।

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