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    पूरब में कमल खिलाने में जुटी भाजपा

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    Updated: Mon, 10 Mar 2014 06:59 PM (IST)

    नमो लहर और गठबंधन के सहारे भाजपा पूरब व उत्तर-पूर्व में इस दफा कमल के खिलने की उम्मीद कर रही है। असम की सभी 14 सीटों पर भाजपा अपना दावा ठोकेगी। जबकि पश्चिम बंगाल में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा(गोजमुमो) को साथ लेकर दार्जीलिंग पर फिर से कब्जा करने की कोशिश है। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने गोजमुमो से दोस्ती का एलान कर

    नई दिल्ली, [आशुतोष झा]। नमो लहर और गठबंधन के सहारे भाजपा पूरब व उत्तर-पूर्व में इस दफा कमल के खिलने की उम्मीद कर रही है। असम की सभी 14 सीटों पर भाजपा अपना दावा ठोकेगी। जबकि पश्चिम बंगाल में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा(गोजमुमो) को साथ लेकर दार्जीलिंग पर फिर से कब्जा करने की कोशिश है। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने गोजमुमो से दोस्ती का एलान कर दिया है। अगप के कई बड़े नेताओं को पार्टी में शामिल किया गया है।

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    असम में अगप के साथ गठबंधन को लेकर पार्टी में पहले से असमंजस था। कइयों का मानना था कि पिछले कुछ वर्षो में जिस तरह अगप का आधार घटा है उसमें गठबंधन ज्यादा लाभदायक नहीं है। उसकी बजाय पार्टी के कुछ प्रभावी नेताओं को भाजपा में शामिल कराया जा सकता है। हालांकि, कुछ लोगों का मानना था कि गठबंधन या विलय के बगैर कार्यकर्ता और वोटर साथ नहीं जुड़ते हैं। लिहाजा, औपचारिक दोस्ती का एलान होना चाहिए।

    आखिरकार पार्टी ने बड़ा फैसला ले लिया। अगप के पूर्व अध्यक्ष चंद्र मोहन पटवारी और पूर्व मंत्री हितेंद्र गोस्वामी को राजनाथ ने पार्टी की सदस्यता दे दी। माना जा रहा है कि पटवारी बारपेटा संसदीय क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार होंगे। इसके साथ ही यह लगभग तय हो गया है कि अब प्रदेश में भाजपा अकेले ही उतरेगी। गौरतलब है कि पिछली बार गठबंधन को पांच सीटें मिली थीं। भाजपा ने चार सीटों पर विजय हासिल की थी। बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा और बंग्लादेश के साथ भूमि समझौते को मुद्दा बनाकर पार्टी इस बार प्रदेश की कम से कम आधी सीटें जीतना चाहेगी।

    पश्चिम बंगाल में पार्टी को गोजमुमो का आसरा मिल गया। राजनाथ ने घोषणा की कि गोजमुमो राज्य में भाजपा उम्मीदवारों का समर्थन करेगा। राजनाथ के कार्यक्रम में गोजमुमो अध्यक्ष बिमल गुरुंग और दूसरे पदाधिकारी मौजूद थे। ध्यान रहे कि पहाड़ी इलाकों में गोजमुमो का प्रभाव है। पिछली बार दार्जीलिंग सीट पर गोजमुमो के समर्थन ने ही भाजपा उम्मीदवार जसवंत सिंह को विजय दिलाई थी। इस बार आशंका गहरा गई थी। दरअसल, तृणमूल कांग्रेस ने यहां से फुटबालर बाईचुंग भूटिया को प्रत्याशी बनाया है, लेकिन ऐन वक्त पर आए समर्थन ने भाजपा की आस जगा दी है। दार्जीलिंग के अलावा जलपाईगुड़ी और अलीपुर द्वार में भी गोजमुमो का साथ भाजपा के लिए कमल खिला सकता है।

    मेघालय में पीए संगमा की नेशनल पीपल्स पार्टी भी राजग में आने को तैयार है। मेघालय में दो संसदीय क्षेत्र हैं जिसमें एक पर कांग्रेस का कब्जा है।

    फिर राज परिवार के भरोसे भाजपादेहरादून, [सुभाष भट्ट]। उत्तराखंड में टिहरी राज परिवार के प्रभाव वाली टिहरी संसदीय सीट पर अक्सर भाजपा व कांग्रेस के बीच मुकाबला रहा है। हालांकि दोनों में से किसी भी दल ने इस सीट पर अब तक उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं, लेकिन यह सीट दोनों दलों के लिए एक बार फिर अपनी राजनीतिक 'विरासत' बचाने का सवाल बनती दिख रही है। भाजपा जहां जीत दर्ज करने के लिए टिहरी राज परिवार पर ही भरोसा जता रही है तो कांग्रेस के लिए यहां पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। भाजपा से मौजूदा सांसद महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह का चुनाव मैदान में उतरना तय माना जा रहा है। जबकि कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के पुत्र साकेत के लिए टिकट की राह इतनी आसान नहीं दिख रही।

    महारानी के दावे पर भाजपा हाईकमान की मुहर

    टिहरी गढ़वाल से भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह को चुनाव मैदान में उतारने का मन बना चुकी है। हालांकि, इसका औपचारिक ऐलान अभी बाकी है। देश के संसदीय इतिहास की शुरुआत से ही टिहरी लोकसभा सीट पर राज परिवार का खासा प्रभाव रहा है। वर्ष 1951 में हुए लोकसभा चुनाव में महारानी कमलेंदुमती शाह ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर यहां जीत हासिल की थी। इसके बाद महाराजा मानवेंद्र शाह ने तीन बार कांग्रेस व पांच बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता। महाराजा की मृत्यु के बाद कांग्रेस के प्रत्याशी विजय बहुगुणा यहां से दो बार चुनाव जीते। लेकिन वर्ष 2009 में पांचों सीटें गंवाने और वर्ष 2012 में लोकसभा चुनाव हारने से भाजपा को गहरा झटका लगा। ऐसे विपरीत हालात में महारानी राज्यलक्ष्मी शाह ने 2012 के उप चुनाव में टिहरी सीट पर तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के पुत्र साकेत बहुगुणा को 22 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी। उनकी उम्मीदवारी की घोषणा 13 मार्च को संसदीय बोर्ड की बैठक में होने की संभावना है।

    बहुगुणा के इन्कार से कांग्रेस में असमंजस

    टिहरी संसदीय सीट से दो बार जीत दर्ज कर चुके पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने इस बार यहां चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिया। ऐसे में कांग्रेस इस सीट पर चेहरा उतारने को लेकर असमंजस में दिख रही है। उसके टिकट के दावेदारों में पूर्व मंत्री किशोर उपाध्याय, हीरा सिंह बिष्ट और शूरवीर सिंह सजवाण के नाम भी सामने आने लगे हैं। जबकि बहुगुणा अपने पुत्र साकेत बहुगुणा को टिकट दिए जाने की पैरवी कर रहे हैं।

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