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बाजी पलटने में माहिर नरेंद्र मोदी ने चाय के प्याले में तूफान ला दिया

एक जुमले से पूरी सियासी बाजी पलटने में माहिर नरेंद्र मोदी ने अब चाय के प्याले में तूफान ला दिया है। कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर की थमाई गई 'सियासी चाय' में मोदी अब कांग्रेस को ही उबालने में जुट गए हैं। अय्यर के बयान के आधार पर भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में मोदी ने खुद को 'पिछड़े वर्ग में पैदा हुआ' व 'गरीब मां का बेटा' और 'चायवाला' के रूप में पेश करते हुए राहुल गांधी ही नहीं अरविंद केजरीवाल के 'आम आदमी' कार्ड पर भी तुरुप का पत्ता खेल दिया है।

By Edited By: Published: Sun, 19 Jan 2014 06:38 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2014 10:17 AM (IST)

नई दिल्ली [राजकिशोर]। एक जुमले से पूरी सियासी बाजी पलटने में माहिर नरेंद्र मोदी ने अब चाय के प्याले में तूफान ला दिया है। कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर की थमाई गई 'सियासी चाय' में मोदी अब कांग्रेस को ही उबालने में जुट गए हैं। अय्यर के बयान के आधार पर भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में मोदी ने खुद को 'पिछड़े वर्ग में पैदा हुआ' व 'गरीब मां का बेटा' और 'चायवाला' के रूप में पेश करते हुए राहुल गांधी ही नहीं अरविंद केजरीवाल के 'आम आदमी' कार्ड पर भी तुरुप का पत्ता खेल दिया है।

गुजरात में 2007 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की 'मौत के सौदागर' टिप्पणी को मोदी ने ऐसा घुमाया था कि कांग्रेस उसमें चकरघिन्नी की तरह नाचकर रह गई थी। अब मोदी अपनी चाय की सियासी हांडी में गरीब और पिछड़े वर्ग को समेटने की मुहिम तेज कर दी है। सबसे पहले भाजपा को यह मौका दिया था, समाजवादी पार्टी के महासचिव नरेश अग्रवाल ने। नरेश के चायवाला बयान को भाजपा ने जिस तरह से उछाला, उससे सतर्क कांग्रेस व अन्य पार्टियों ने इस मुद्दे पर बेहद सतर्क रवैया अपनाया।

हालांकि दो दिन पहले कांग्रेस कार्यकारिणी में उसके वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने मोदी को चायवाला बताकर नमो को ऐन वक्त पर मुद्दा दे दिया। सशक्त और समृद्ध भारत का सपना पाले शहरी युवाओं और मध्यम वर्ग के साथ-साथ पिछड़े वर्ग, गरीब और किसानों के बीच पैठ जमाने की समानांतर रणनीति पर चल रहे मोदी को 'चायवाला' बहस ने और मजबूती दे दी है। गरीबों, मजदूरों व पिछडे़ वर्ग के बीच इस जुमले को भाजपा और मोदी ने भावनात्मक स्तर पर भुनाना शुरू कर दिया है।

भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में पहले तो उन्होंने चायवालों की चौड़ी छाती का जुमला फेंककर गली-मोहल्ले में खोखा लगाकर चाय बेचने वालों के साथ खुद को जोड़ा। इसके बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के चुनाव न लड़ने को भी सामंतशाही और अभिजात्य सोच से जोड़कर उन्होंने दूसरा सियासी वार किया। मोदी ने राहुल को पीएम घोषित न करने पर चुटकी ली कि 'जिस परंपरा में वह पले बढ़े हैं, वह सामंतशाही रही है। वे नामदार हैं। हम कामदार हैं।'

इसके बाद मोदी ने बड़ी चतुराई से पिछड़ा और गरीब कार्ड खेल अरविंद केजरीवाल के आम आदमी आधार से बड़ी लाइन खींचने की कोशिश की। मोदी ने कहा कि 'मैं पिछड़ी जाति में पैदा हुआ, जिसकी मां दूसरों के घर में पानी भरती थी, बर्तन साफ करती थी। मैं रेल के डिब्बे में चाय बेचता था, वह उससे कैसे मुकाबला करें। यह उनकी शान के खिलाफ है।' अपनी चायवाला छवि को मोदी हर घर में पहुंचाकर भावनात्मक रूप से जुड़ेंगे, इसके संकेत कार्यकर्ताओं से इस आधार पर चंदा मांगने का आह्वान कर ही दे दिए हैं।

पढ़ें: कांग्रेस की हार देख सोनिया ने राहुल को बचाया:मोदी

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