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    भाजपा ने कसी गैरजाट नेताओं की नकेल, राजकुमार सैनी से भी बयान वापस कराया

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Sat, 20 Feb 2016 10:01 PM (IST)

    हरियाणा का जाट आंदोलन कहीं राजस्थान की तरह जातिगत संघर्ष के रास्ते में न बढ़े, इसके लिए केंद्र सरकार तत्काल मुस्तैद हो गई। जाट आरक्षण की मांग का विरोध कर रहे गैरजाट नेताओं की नकेल भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने तुरंत ही कस दिया है।

    नई दिल्ली : हरियाणा का जाट आंदोलन कहीं राजस्थान की तरह जातिगत संघर्ष के रास्ते में न बढ़े, इसके लिए केंद्र सरकार तत्काल मुस्तैद हो गई। जाट आरक्षण की मांग का विरोध कर रहे गैरजाट नेताओं की नकेल भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने तुरंत ही कस दिया है। वैसे भी केंद्र व राज्य सरकार दूसरे वर्गो में इसकी प्रतिक्रिया से आशंकित है।

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    राज्य के इस हिंसक माहौल को शांत कराने में जुटी सरकार ने अपने सभी जाट व गैर जाट नेताओं को चुप रहने की सख्त हिदायत दी है। इससे गैर जाट नेता अब कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। प्रदेश में सक्रिय अन्य राजनीतिक दलों के गैर जाट नेता भी इस मुद्दे पर ऊहापोह में हैं।

    जाट आरक्षण का लगातार मुखर विरोध करने वाले सांसद राजकुमार सैनी को तो पहले ही कारण बताओ नोटिस भेजने का फैसला किया गया है। सैनी ने धमकी दी थी कि अगर जाट आरक्षण दिया गया तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। उनके इस बयान को भड़काऊ मानते हुए भाजपा ने तलब कर लिया है। पार्टी के दबाव में सैनी ने अपना बयान वापस लिया है।

    सैनी ने कहा था कि जाट समुदाय सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक तौर पर अग्रणी जातियों में शुमार है। सामान्य वर्ग की नौकरियों में जाटों की हिस्सेदारी 50 फीसद से अधिक है। अगर ओबीसी में उन्हें रख दिया गया तो वास्तविक रूप से पिछड़ी जातियों का क्या होगा।

    इंद्रजीत सिंह भी पक्ष में नहीं

    हरियाणा के अहीरवाल के प्रमुख नेता राव इंद्रजीत सिंह भी जाट आंदोलन के पक्षधर नहीं रहे हैं। उन्होंने तो यहां तक कह दिया था कि कनपटी पर बंदूक लगाकर आरक्षण नहीं लिया जा सकता। अहीरवाल की राजनीति में वैसे भी यह बड़ा मुद्दा रहा है। मगर संवेदनशीलता देखते हुए केंद्र ने उन्हें भी तत्काल चुप करा दिया है।

    कृष्णपाल गुर्जर के सुर बदले

    इसी तरह जाट आरक्षण के धुर विरोधी रहे गैर जाट नेता व केंद्र में सामाजिक आधिकारिता मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के भी सुर बदले हुए हैं। उन्होंने अपील की कि 'आंदोलन करने वालों को आंदोलन स्थगित करके वार्ता की मेज पर आना चाहिए। आपसी सौहा‌र्द्र से ही समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। उन्हें मोदी और मनोहर पर भरोसा करना चाहिए।'

    गुर्जर ने कहा कि जाट जाति उग्र नहीं होती है। इस हिंसक आंदोलन के पीछे कुछ शरारती तत्व हो सकते हैं। जाट आरक्षण का प्रावधान किया गया तो ओबीसी वर्ग में ही यह आरक्षण मिल सकता है। ओबीसी की सूची में पहले से शामिल जातियों की चिंताएं यही है।