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केजरी सरकार पर बढ़ने लगा भाजपा का दबाव

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। बतौर मुख्यमंत्री एक पखवाड़ा पूरा कर चुके अरविंद केजरीवाल को भाजपा ने याद दिलाया है कि प्रचार की बजाय अब प्रशासन पर ध्यान दें। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कहा कि दिल्ली की एक बड़ी आबादी को मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं है तो एक वर्ग ऐसा भी है जो इस शहर को व‌र्ल्ड सिटी के रूप में देखना चाहता है। इस चुनौ

By Edited By: Published: Sun, 12 Jan 2014 08:14 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2014 08:16 PM (IST)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। बतौर मुख्यमंत्री एक पखवाड़ा पूरा कर चुके अरविंद केजरीवाल को भाजपा ने याद दिलाया है कि प्रचार की बजाय अब प्रशासन पर ध्यान दें। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कहा कि दिल्ली की एक बड़ी आबादी को मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं है तो एक वर्ग ऐसा भी है जो इस शहर को व‌र्ल्ड सिटी के रूप में देखना चाहता है। इस चुनौती को गंभीरता से लेने की जरूरत है जो सिर्फ चुस्त प्रशासन और सिद्धांत से ही संभव है।

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दिल्ली में विपक्ष में बैठी भाजपा ने अब दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है। प्रादेशिक स्तर के साथ-साथ केंद्रीय स्तर से भी केजरीवाल सरकार को कसौटी पर कसा जाने लगा है। रविवार को जेटली ने फेसबुक के जरिए टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि शासन नीतियों और उसके कार्यान्वयन पर चलता है। अच्छी राजनीति तभी हो सकती है जब शासन प्रशासन चुस्त हो और उसका प्रचार हो। लेकिन सिर्फ प्रचार हो और शासन नदारद तो वह दिखावटीपन है। शासन शून्य प्रचार और दिखावटीपन की आयु बहुत कम होती है। जो जनता कुछ पाने के लिए विश्वास जताती है उसका गुस्सा भड़कने में भी समय नहीं लगता है।

जेटली ने कहा कि 'आप' सारगर्भित शासन और शासन के तौर तरीके में फर्क नहीं देख पा रही है। उनका तौर तरीका जो भी हो लेकिन दिल्ली की जनता को मूलभूत सुविधाएं भी चाहिए और एक वैश्विक शहर के रूप में विकास भी चाहिए। इस कसौटी पर खरा उतरना है तो अच्छा शासन देना होगा। गौरतलब है कि केजरीवाल सरकार को अभी बहुत लंबा समय भले न हुआ हो लेकिन खुद आम आदमी पार्टी और विपक्ष को भी इसका अहसास है कि काम करने के लिए समय बहुत कम है। फरवरी के अंत तक आमचुनाव की घोषणा हो सकती है। उसके बाद चुनाव खत्म होने तक नीतिगत निर्णय लेने पर पाबंदी होगी। जाहिर है कि अगले एक डेढ़ माह गुजर गए तो दिल्ली सरकार के पास निर्णयों के लिए काफी समय होगा। जबकि व्यवस्था परिवर्तन और समयबद्ध कामकाज का नारा देकर आई आप को भाजपा इतना लंबा समय देना नहीं चाहती है।

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