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    शिवसेना ने केजरीवाल की भाषा को बताया 'सड़कछाप मवाली की भाषा'

    शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखे संपादकीय में केजरीवाल पर निशाना साधा है। इस संपादकीय में केजरीवाल की भाषा को सड़कछाप मवाली की भाषा बताया गया है। इसके अलावा इस संपादकीय में केजरीवाल के लिए मवालीगिरी जैसे शब्‍दों का भी इस्‍तेमाल किया गया है।

    By Kamal VermaEdited By: Updated: Sat, 26 Dec 2015 02:47 PM (IST)

    मुंबई। शिवसेना ने अपने संपादकीय में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भाषा को एक सड़कछाप मवाली भाषा बताया है। अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में शिवसेना ने लिखा है कि जिस तरह से केजरीवाल ने डीडीसीए के मुद्दे पर वित्त मंत्री अरुण जेटली पर निशाना साधा है वह किसी सड़कछाप मवाली की ही तरह है। पत्र में लिखा है कि यूं तो दिल्ली की सरकार जनता ने चुनी है और दिल्ली का सीएम होने के नाते अरविंद केजरीवाल सम्मान के पात्र हैं, लेकिन जिस भाषा में वह जेटली समेत पीएम मोदी पर आरोप लगा रहे हैं वह बेहद सड़कछाप मवाली की भाषा है।

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    सामना के संपादकीय में लिखा गया है केजरीवाल ने अपनी इस तरह की अभद्र भाषा से इस पद की गरिमा को ठेस लगाई है और सीएम पद का स्तर गिरा दिया है। उनके इस बर्ताव को कहीं से भी सही नहीं कहा जा सकता है। सामना में लिखा गया है कि डीडीसीए में फैले भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आप को कीर्ति आजाद का खुला साथ मिल गया है। फिर भले ही कीर्ति आजाद कुछ भी कहते रहें। संपादकीय में कीर्ति आजाद को भी इस मुद्दे पर गलत साबित करने की कोशिश की गई है। इसमें कहा गया है कि कीर्ति ने अनुशासन को खूंटे से टांगकर तलवार लहराने का काम किया है।

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    शिवसेना ने इस संपादकीय में भाजपा को सीख लेने को भी कहा है। इसमें लिखा है कि एक समय था जब अरुण जेटली ने रामलीला मैदान में आंदोलन कर रहे केजरीवाल और अन्ना के समर्थन के लिए शिवसेना को कहा था, लेकिन हमने उन्हें सीख दी थी कि इन्हें बढ़ावा न दें। कल यही नुकसान पहुंचाएंगे। अब खुद अन्ना केजरीवाल के साथ नहीं हैं, लिहाजा सही यही है कि कभी शिवसेना की भी सुन लेनी चाहिए।

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