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विवादित ढांचा विध्वंस केस: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आडवाणी से मिले जोशी

कोर्ट के आदेश के बाद मुरली मनोहर जोशी ने लाल कृष्ण आडवाणी के साथ मुलाकात की है।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 19 Apr 2017 07:36 PM (IST)Updated: Wed, 19 Apr 2017 10:19 PM (IST)
विवादित ढांचा विध्वंस केस: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आडवाणी से मिले जोशी
विवादित ढांचा विध्वंस केस: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आडवाणी से मिले जोशी

नई दिल्ली, जेएनएन। विवादित ढांचा विध्वंस केस में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए 13 नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाने का आदेश दिया है। कोर्ट के आदेश के अनुसार भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, केंद्रीय मंत्री उमा भारती, सांसद विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, विष्णु हरि डालमिया, सतीश प्रधान, सी आर बंसल, आर वी वेदंती, जगदीश मुनि महाराज, बी एल शर्मा, नृत्य गोपाल दास और धर्म दास के खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलेगा। 

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कोर्ट के आदेश के बाद मुरली मनोहर जोशी ने लाल कृष्ण आडवाणी के साथ मुलाकात की है। अगर इनके खिलाफ आरोप साबित हो जाते हैं तो सभी आरोपियों को पांच साल की सजा जेल में काटनी होगी।

कोर्ट ने नेताओं के खिलाफ रायबरेली की अदालत में चल रहा मुकदमा अयोध्या प्रकरण की सुनवाई कर रही लखनऊ की अदालत में ट्रांसफर कर दिया है। साथ ही मुकदमें की रोजाना सुनवाई कर दो साल में फैसला सुनाने का भी आदेश दिया है। हालांकि कल्याण सिंह को राज्यपाल के संवैधानिक पद पर होने के कारण फिलहाल राहत मिल गई है। ये फैसला न्यायमूर्ति पीसी घोष व न्यायमूर्ति आरएफ नारिमन की पीठ ने सीबीआइ की याचिका पर सुनाया है।

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सीबीआइ ने एसएलपी दाखिल कर ढांचा ढहने के मामले में तकनीकी आधार पर आरोपमुक्त हो गये नेताओं पर आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाने की मांग की थी। सीबीआइ ने हाईकोर्ट के 20 मई 2010 के आदेश को चुनौती दी थी। जिसमें हाईकोर्ट ने 21 नेताओं को आरोपमुक्त कर दिया था। इनमें से आडवाणी जोशी सहित 8 नेताओं पर रायबरेली की अदालत में मुकदमा चल रहा है लेकिन उसमें साजिश के आरोप नहीं हैं। 8 में से 2 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। बाकी के 13 लोग पूरी तरह छूट गए थे। 13 में 4 की मृत्यु हो चुकी है। बचे लोगों में कल्याण सिंह प्रमुख हैं जो ढांचा ढहने के समय प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और इस समय राजस्थान के राज्यपाल हैं।

लखनऊ की विशेष अदालत में एफआइआर नंबर 197-1992 (कारसेवकों का मुकदमा) चल रहा है जिसमें आपराधिक साजिश के आरोप हैं। बुधवार को कोर्ट ने सीबीआइ की अपील स्वीकार करते हुए नेताओं को आरोपमुक्त करने का हाईकोर्ट का आदेश रद कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मुकदमा स्थानांतरित होने के चार सप्ताह के भीतर लखनऊ का सेशन कोर्ट आडवाणी, जोशी व अन्य पर आइपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) के अतिरिक्त आरोप तय करेगा।

कोर्ट ने कहा कि नये सिरे से ट्रायल नहीं होगा यानि मुकदमे की सुनवाई जिस स्तर पर चल रही है उसी से आगे चलेगी सिर्फ अभियुक्तों पर आपराधिक साजिश के अतिरिक्त आरोप तय होकर उसमें भी ट्रायल चलने लगेगा। मुकदमें का ट्रायल पूरा होने तक जज का ट्रांसफर नहीं किया जाएगा। इसके अलावा कोर्ट सुनवाई में तब तक कोई स्थगन नहीं देगा जबतक कि जज को यह न लगे कि सुनवाई करना असंभव हो गया है। ऐसा होने पर जज अगली सुनवाई की नजदीक तिथि तय करेगा साथ ही सुनवाई स्थगित करने का कारण भी दर्ज करेगा। कोर्ट ने कहा है कि सीबीआइ ये सुनिश्चित करेगी की सुनवाई के दौरान कोई गवाह जरूर पेश रहे ताकि सुनवाई इस कारण न टले। कहा है कि अगर इस आदेश और उसकी भावना का पूरी तरह पालन नहीं होता तो कोई भी पक्ष फिर से सुप्रीमकोर्ट आ सकता है।

कल्याण पर अभी नहीं चलेगा मुकदमा

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि संविधान में राज्यपाल को मुकदमें और अदालत से मिली छूट का लाभ उन्हें मिलेगा और जब तक वे राज्यपाल के पद पर हैं उन पर न तो आरोप तय होंगे और न ही मुकदमा चलेगा। कल्याण सिंह इस समय राजस्थान के राज्यपाल हैं। लेकिन कोर्ट ने फैसले में कहा है कि उनके पद से हटने के बाद उन पर आरोप निर्धारित होंगे और मुकदमा चलेगा।

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