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बीस लाख तक ग्रैच्युटी टैक्स फ्री करने वाला बिल मानसून सत्र में

इससे पहले फरवरी में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने श्रम मंत्रालय के साथ त्रिपक्षीय बैठक इस प्रस्ताव पर सहमति जताई थी।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sun, 09 Jul 2017 09:47 PM (IST)Updated: Sun, 09 Jul 2017 11:09 PM (IST)
बीस लाख तक ग्रैच्युटी टैक्स फ्री करने वाला बिल मानसून सत्र में
बीस लाख तक ग्रैच्युटी टैक्स फ्री करने वाला बिल मानसून सत्र में

नई दिल्ली, प्रेट्र। करमुक्त ग्रैच्युटी की सीमा 20 लाख रुपये होना तय है। टैक्स फ्री ग्रैच्युटी की राशि दोगुना करने संबंधी विधेयक संसद के आगामी मानसून सत्र में पेश किए जाने की संभावना है। केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने यह जानकारी दी। संसद का मानसून सत्र 17 जुलाई से शुरू हो रहा है। फिलहाल टैक्स फ्री ग्रैच्युटी की सीमा 10 लाख रुपये है।

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ग्रैच्युटी भुगतान कानून में संशोधन के आशय वाला यह बिल में केंद्र को कार्यकारी आदेश के जरिये कर्मचारियों के आय स्तर में वृद्धि के आधार पर कर मुक्त ग्रैच्युटी की सीमा बढ़ाकर देगा। हालांकि मसौदा विधेयक को कैबिनेट की मंजूरी मिलना बाकी है।

ग्रैच्युटी भुगतान संशोधन विधेयक की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर दत्तात्रेय ने कहा, 'यह हमारे एजेंडे में है। यह इस सत्र (मानसून) में आ सकता है। इसे जल्द ही मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के पास भेजा जाएगा।' कानून में संशोधन के बाद संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी 20 लाख तक की टैक्स फ्री ग्रैच्युटी के हकदार होंगे। प्रस्तावित संशोधन के तहत अधिकतम राशि की सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये की गई है।

इससे पहले फरवरी में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने श्रम मंत्रालय के साथ त्रिपक्षीय बैठक इस प्रस्ताव पर सहमति जताई थी। हालांकि यूनियनों ने ग्रैच्युटी भुगतान के लिये न्यूनतम पांच साल की सेवा और न्यूनतम 10 कर्मचारी होने की शर्त को हटाने की मांग की है। फिलहाल कर्मचारी को ग्रैच्युटी राशि के लिए न्यूनतम पांच साल की सेवा एक ही संस्थान में करना अनिवार्य है। साथ ही कानून उन प्रतिष्ठानों पर लागू होता है, जहां कर्मचारियों की संख्या 10 से कम नहीं हो।

ट्रेड यूनियनों की मांग

श्रम संगठनों ने मांग की है कि अधिकतम राशि के संदर्भ में यह संशोधित प्रावधान एक जनवरी, 2016 से लागू हो, जैसा केंद्र सरकार के कर्मियों के मामले में किया गया है। त्रिपक्षीय बैठक में यूनियनों ने यह भी मांग रखी कि ग्रैच्युटी के तहत प्रत्येक पूरे हुए सेवा वर्ष के लिए 15 दिन के बजाय 30 दिन का वेतन दिया जाए।

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