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    पाकिस्तान के राहुल हैं बिलावल : कुमार विश्वास

    By Sachin BajpaiEdited By:
    Updated: Fri, 15 Apr 2016 02:41 AM (IST)

    कवि एवं आम आदमी पार्टी के नेता डॉ. कुमार विश्वास गुरुवार को पूरी रौ में थे। ...और पढ़ें

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    देहरादून। कवि एवं आम आदमी पार्टी के नेता डॉ. कुमार विश्वास गुरुवार को पूरी रौ में थे। दून में आयोजित एकल काव्य पाठ कार्यक्रम में उन्होंने अपनी रचनाओं के जरिए सम-सामयिक विषयों को छुआ तो हास्य की फुहारें भी छोड़ीं। साथ ही उत्तराखंड के राजनीतिक हालात के साथ ही देहरादून शहर की समस्याओं को चुटकियों ही चुटकियों में उभारकर तंज भी कसे।

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    गुरुवार शाम कुमार विश्वास बन्नू स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने "पनाहों में जो आया हो, उस पर वार क्या करना, जो दिल हारा हुआ हो, उस पर अधिकार क्या करना" से शुरुआत करते हुए कहा कि वह कार्यक्रम में देरी से आने पर माफी चाहते हैं। इसका कारण है कि उत्तराखंड में सरकार नहीं है, लेकिन कार बहुत हैं।

    टै्रफिक जाम के कारण उन्हें यहां पहुंचने में समय लगा। फिर उन्होंने गजल "किसी पत्थर में मूरत है, कोई पत्थर की मूरत है, जो हमने देख ली है, वो दुनिया कितनी खूबसूरत है, जमाना अपनी समझे, पर मुझे अपनी खबर ये है, तुझे मेरी जरूरत है, मुझे तेरी जरूरत है" पेश की। राहुल गांधी पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, "राहुल बीच-बीच में अचानक गायब हो जाते हैं और कुछ दिन बाद खबरें आती हैं कि उन्हें उत्तराखंड के जंगलों में देखा गया, जैसे मानो शहर में कोई तेंदुआ घुस आया हो।"

    इतना ही नहीं, उन्होंने राहुल गांधी की तुलना पाकिस्तान के नेता बिलावल भुट्टो तक से कर दी। बोले, बिलावल पाकिस्तान के राहुल गांधी हैं। उत्तराखंड के राजनीतिक हालात पर बोलते हुए उन्होंने श्रोताओं से सवाल किया, "रावत जी का तो स्टिंग हो गया, अब सरकार में क्या चल रहा है।"।
    हमे जूते खाने का भी अभ्यास
    काव्यपाठ के दौरान उन्होंने दर्शकों से कहा कि ऐसे कार्यक्रमों में दर्शकों और कवि के बीच ज्यादा दूरी नहीं होनी चाहिए। हालांकि, कई बार दर्शकों के जूते भी खाने भी पड़ जाते हैं, लेकिन हमें तो अब जूते खाने का भी अभ्यास हो गया है।
    मेरी राजनीति खत्म कर सकते हैं, लेकिन कविता नहीं
    कुमार बोले, राजनीति के कुछ षड्यंत्रकारी भले ही मेरा राजनीतिक करियर को खत्म कर दें, लेकिन मेरी रचनाओं को कभी नहीं मारा जा सकता। जब इन नेताओं के पोते बड़े होंगे तो वह मेरी रचना "कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है" सुनकर तालियां जरूर बजाएंगे।