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    हार मानकर हटने वाले नहीं भूषण और यादव

    By Murari sharanEdited By:
    Updated: Thu, 12 Mar 2015 10:19 PM (IST)

    आम आदमी पार्टी (आप) की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) के बाद अब प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को पार्टी से ही निकाल देने की कोशिशों के बीच इन दोनों नेताओं ने भी अपनी जमीन पक्की करनी शुरू कर दी है। यादव खास तौर पर हरियाणा में अपनी बुनियाद मजबूत

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) के बाद अब प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को पार्टी से ही निकाल देने की कोशिशों के बीच इन दोनों नेताओं ने भी अपनी जमीन पक्की करनी शुरू कर दी है। यादव खास तौर पर हरियाणा में अपनी बुनियाद मजबूत करना चाहते हैं।

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    भूषण और यादव खेमे के एक करीबी नेता साफ तौर पर कहते हैं कि ये दोनों फिलहाल अपनी तरफ से कोई बयानबाजी नहीं करना चाहते। मगर साथ ही यह भी कहते हैं कि हथियार डालकर पार्टी छोड़ देने का सवाल ही नहीं उठता। इन दोनों नेताओं के साथ हुई अपनी बातचीत के आधार पर ये कहते हैं कि इन्होंने जो लड़ाई शुरू की है, वह अब सिर्फ इनकी नहीं रह गई है।

    पार्टी के अंदर वे देश-विदेश के लाखों समर्थकों और स्वयंसेवकों की आवाज उठा रहे हैं। अब इसे बीच में नहीं छोड़ा जा सकता। उन्हें पूरी उम्मीद है कि इस महीने के अंत में होने वाली राष्ट्रीय परिषद की बैठक में लोग उनकी बात को समझते हुए उनके खिलाफ आए किसी प्रस्ताव को पारित नहीं होने देंगे। इस सिलसिले में परोक्ष रूप से इस गुट के लोग परिषद के सदस्यों से मुलाकात भी कर रहे हैं। पार्टी संविधान के मुताबिक, राष्ट्रीय संयोजक या राष्ट्रीय कार्यकारिणी के किसी सदस्य को बाहर करने का अधिकार परिषद को ही है।

    भूषण और यादव के ये करीबी नेता बताते हैं कि हालांकि प्रशांत भूषण अपनी अदालती व्यस्तता की वजह से सक्रिय राजनीति में ज्यादा समय देने के पक्ष में कभी नहीं रहे, मगर योगेंद्र यादव ने अब इसमें अपना पूरा समय देने का मन बना लिया है।

    खास तौर से उन्होंने हरियाणा से शुरुआत करते हुए देश की राजनीति को नया स्वरूप देने का दृढ़ संकल्प लिया है। यहां जिला स्तर ही नहीं बल्कि ब्लॉक और पंचायत स्तर तक पर लोग लगातार इनके संपर्क में हैं। ये नहीं चाहते कि लंबे प्रयास के बाद पार्टी की जो छवि बनी है, वह धूमिल हो। मगर उनकी समस्या यह है कि हरियाणा से ही पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य नवीन जयहिंद लगातार उनके नेतृत्व को चुनौती देते रहे हैं।

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