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    SIR in Bengal: विरोध-प्रदर्शन के बाद एसआइआर के लिए तैनात पर्यवेक्षकों ने मांगी केंद्रीय सुरक्षा

    Updated: Fri, 12 Dec 2025 08:47 PM (IST)

    पश्चिम बंगाल में विरोध-प्रदर्शन के बाद एसआइआर के लिए तैनात पर्यवेक्षकों ने केंद्रीय सुरक्षा मांगी है। पर्यवेक्षकों ने चुनाव के बाद हिंसा की घटनाओं को ...और पढ़ें

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    बंगाल में एसआइआर।

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के लिए तैनात किए गए चुनाव आयोग के पर्यवेक्षकों ने अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।

    इन पर्यवेक्षकों ने सुरक्षा के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती या फिर उन्हें मजिस्ट्रेट की शक्तियां (जिसके तहत सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी सीधे उनके निर्देशों का पालन करेंगे) देने की सिफारिश केंद्रीय चुनाव आयोग के दिल्ली स्थित कार्यालय को भेजी है। आयोग सूत्रों के अनुसार उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की हालिया टिप्पणी की भी जांच करने का आग्रह किया है।

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    यह कदम गुरुवार को दक्षिण 24 परगना के फलता में हुई घटना के बाद उठाया गया, जहां एसआइआर के काम का निरीक्षण करने गए पर्यवेक्षक सी मुरुगन को स्थानीय महिलाओं, जिनमें अधिकांश तृणमूल समर्थक थीं, के विरोध का सामना करना पड़ा। इस घटना के 24 घंटे के भीतर ही पर्यवेक्षकों ने दिल्ली में आयोग को अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पत्र भेज दिया।

    इस समय 16 पर्यवेक्षक हैं बंगाल में तैनात

    बंगाल में वर्तमान में एक विशेष पर्यवेक्षक, तीन डिविजनल पर्यवेक्षक और जिलों में काम करने के लिए 12 अन्य पर्यवेक्षक नियुक्त हैं। आयोग सूत्रों के मुताबिक, फलता की घटना के बाद, पर्यवेक्षक अपनी सुरक्षा में कोई कमी नहीं रखना चाहते हैं, जिसके कारण उन्होंने आवश्यक कदम उठाने की सिफारिश की है।

    उन्होंने केंद्रीय बल की सुरक्षा का सुझाव दिया है और यदि यह संभव न हो, तो उन्हें मजिस्ट्रेट की शक्तियां देने का प्रस्ताव दिया है। आम तौर पर सुरक्षाकर्मी अपने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों का पालन करते हैं, लेकिन मजिस्ट्रेट की शक्ति मिलने पर वे सीधे पर्यवेक्षक के आदेशों का पालन करेंगे।

    नदिया में सभा के दौरान मुख्यमंत्री की टिप्पणी पर आपत्ति

    इसके अलावा, पर्यवेक्षकों ने गुरुवार को कृष्णानगर की एक जनसभा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टिप्पणी पर भी आपत्ति जताते हुए उसकी जांच की सिफारिश की है।

    मुख्यमंत्री को यह कहते हुए सुना गया था: "क्या मां-बहनें। यदि नाम काटे जाते हैं, तो क्या घर में वह सब सामान है जिससे आप खाना पकाती हैं। है ना? क्या जान में ताकत है? नाम काटे जाने पर उन्हें पकड़ेंगे? छोड़ेंगे नहीं ना? लड़कियां सामने से लड़ेंगी, और लड़के पीछे रहेंगे। मैं देखना चाहती हूं, मां-बहनों की शक्ति बड़ी है, या भाजपा की शक्ति बड़ी।" पर्यवेक्षकों ने इस टिप्पणी पर आपत्ति जताई है और इसकी भी जांच की मांग की है।

    पर्यवेक्षकों का दल, जिसका नेतृत्व मुरुगन कर रहे थे, फलता में एसआइआर के काम का निरीक्षण कर रहा था, जिसमें बूथ स्तरीय अधिकारियों(बीएलओ) के काम और मृत मतदाताओं की संख्या की जांच शामिल थी।

    इसी दौरान, तृणमूल समर्थकों के एक समूह ने आयोग के प्रतिनिधिमंडल को घेर लिया और एसआइआर तथा भाजपा के खिलाफ नारे लगाए। विरोध प्रदर्शन के दौरान आवास योजना और 100 दिन के काम के पैसे की मांग भी उठाई गई।