एनएससीएन एग्रीमेंट.. आतंक से अमन तक
सरकार के साथ शांती वार्ता की ओर बढ़े कदम से ही इस संगठन में विरोध के स्वर मुखर हुए थे और यह दो खेमों में बट गया था। आज सरकार के साथ शांती वार्ता से ही देश के हित में बड़ा निर्णय लिया गया और एनएससीएन समझौते के लिए राजी
नई दिल्ली। एनएससीएन-इसाक मुइवा और सरकार के बीच हुए ऐतिहासिक समझौते ने आतंक के एक दौर का अंत किया है। शिलांग समझौते के खिलाफ गठित हुआ यह संगठन देश में विरोध का बड़ा पर्याय बन कर उभर रहा था। भारत सरकार के साथ शांती वार्ता की ओर बढ़े कदम से ही इस संगठन में विरोध के स्वर मुखर हुए थे और यह गुट दो खेमों में बट गया था। आज सरकार के साथ शांती वार्ता से ही देश के हित में बड़ा निर्णय लिया गया और एनएससीएन-इसाक मुइवा ने सरकार के साथ समझौता किया।
कई जिलों में फैला था आतंक
इसका प्रभाव मणिपुर के चार जिलों सेनापती, उखरूल, चंदेल और तामांगलोंग में है। ये नागालैंड के वोखा, फेक, जुनोभोटो, कोहिमा, मोकोकचुंग और तुएनसांग जिलों में फैला हुआ है। इसके अलावा असम और अरुणाचल प्रदेश के नागा बहुतायत वाले जिलों में भी अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुका है।
निर्वासित सरकार भी
एनएससीएन ने एक निर्वासित सरकार भी बना रखी है जो दुनिया भर के संगठनों और मीडिया के साथ औपचारिक और अनौपचारिक बातचीत करता है। इसका तकरीबन 4500 सदस्यों का मजबूत काडर है। इसका वार्षिक बजट 2 से ढाई अरब का है। इसकी आय का मुख्य स्रोत म्यांमार से ड्रग्स की तस्करी है इसके अलावा ये बैंक डकैती, फिरौती आदि से भी पैसा जुटाता है।
मणिपुर आतंकी हमला
दो महीने पहले मणिपुर के चंदेल जिले में भारतीय सेना की 6 डोगरा रेजीमेंट पर हुए भीषण हमले की जिम्मेदारी एनएससीएन-के ने ली थी। इस हमले में 20 जवान शहीद हुए थे। जवाबी कार्रवाई में भारतीय सेना ने म्यांमार में घुसकर आतंकियों के अड्डों को बर्बाद कर दिया था।
पढ़ेंः जानिए क्या है ? एनएससीएन-इसाक मुइवा संगठन
एनएससीएन से जुड़ी ये बातें नहीं जानते होंगे आप
-1988 में एनएससीएन दो धड़ों में बंट गया था- एनएससीएन-के और एनएससीएन (आईएम)।
-दोनों गुटों के अलग होने के पहले हफ्ते में ही इनके 200 से ज्यादा लड़ाके मारे गए थे।
-एनएससीएन-के का नेतृत्व एसएस खापलांग करते हैं, जबकि एनएससीएन (आईएम) के चीफ इसाक मुइवा हैं।
-एनएससीएन (आईएम) सरकार की तरह काम करता है। इसके अंदर गृह, रक्षा, वित्त, कानून और शिक्षा समेत 11 मंत्रालय हैं। सबसे ज्यादा दबदबा गृह मंत्रालय का है, जिसे सारे प्रशासनिक विभागों के प्रमुख रिपोर्ट करते हैं।
-14 जून 2001 को केंद्र सरकार और एनएससीएन (आईएम) के बीच एक संघर्ष-विराम समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे।
-एनएससीएन में 1988 में हुए विभाजन के बाद से 2007 तक दोनों गुटों की लड़ाई में छह सौ से ज्यादा लड़ाके मारे जा चुके हैं।
-इस संगठन की उपस्थिति नागालैंड से बाहर असम, अरुणाचल प्रदेश और म्यांमार तक है।